अग्निबाण एक्सपोज… 65 हजार एकड़ पर 16 महीने से ठप पड़ी है विकास अनुमतियां, त्रस्त हो गए रियल इस्टेट कारोबारी
इंदौर, राजेश ज्वेल
मास्टर प्लान (master plan)-2035 की प्रक्रिया के चलते इंदौर (indore) के निवेश क्षेत्र (investment area) में जो 79 नए गांव जोड़े गए उसकी 65 हजार एकड़ जमीनों पर विकास अनुमतियां (development permissions) 16 माह से ठप पड़ी है। वहीं धारा 16 के प्रावधान लागू किए गए। मगर उसकी भी मात्र दो बैठकें हुई, जिसमें 6 प्रकरणों को मंजूरी दी गई। इंदौर के रियल इस्टेट कारोबारी (real estate business) त्रस्त हो गए और अभिन्यास मंजूरी में तगड़े लेन-देन की भी चर्चा है। दरअसल सारे अधिकार भोपाल में बैठे आला अफसरों ने हथिया रखे हैं, जिसके चलते सारी फाइलें इंदौर से भोपाल (bhopal) जाती है।
79 गांवों में वैसे तो 95 हजार एकड़ जमीन शामिल है, मगर इनमें से लगभग 30 हजार एकड़ जमीनों पर पूर्व से अभिन्यास मंजूर हो गए हैं, लेकिन 65 हजार एकड़ जमीनों को फ्रिज कर डाला और अभिन्यास मंजूरी पर रोक लगा दी। इसके बाद जब हल्ला मचा तो धारा 16 के तहत आदेश जारी कर दिए, लेकिन सारे अधिकार भोपाल के आला अफसरों ने अपने हाथों में ही रखे। अब रियल इस्टेट के सूत्रों का ही कहना है कि धारा 16 में अभिन्यास मंजूरी करवाना जहां जटील तो हो ही गया, वहीं अत्यंत महंगा भी पड़ रहा है। चर्चा यहां तक है कि 40 रुपए स्क्वेयर फीट की दर से ऊपरी राशि ली जा रही है और उसके बाद चुनिंदा प्रकरणों को मंजूरी दी गई। जबकि बीते एक साल से इंदौर का रियल इस्टेट कारोबार तेज गति से चल रहा है और कालोनाइजरों को मजबूरी में डायरियों पर माल बेचना पड़ा, क्योंकि देशभर के निवेशक इंदौर के जमीनी धंधे में पैसा लगा रहे हैं, लेकिन नगर तथा ग्राम निवेश संचालक की हठधर्मिता के चलते आसानी से अभिन्यासों को मंजूरी नहीं मिल पा रही है और कुछ समय पूर्व प्रमुख सचिव और संचालक के बीच तनातनी की खबरें भी उजागर हुई। एक तरफ मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टॉलरेंस के दावे करते हैं, दूसरी तरफ रियल इस्टेट कारोबारियों को भोपाल जाकर तगड़ी भेंट पूजा अधिकारियों की करनी पड़ रही है, ताकि उनके ठप पड़े प्रोजेक्टों की फाइलें आगे बढ़ सके। यहां तक कि प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई ने इस पूरी प्रक्रिया के सरलीकरण के भी प्रयास किए, तो संचालक मुकेश गुप्ता ने उसका भी विरोध करते हुए अलग से पत्र जारी कर दिए, जो पिछले दिनों मीडिया की सुर्खियों में भी रहे। अभी शनिवार को ही प्रस्तावित मास्टर प्लान पर सुझावों की बैठक के पश्चात प्रमुख सचिव श्री मंडलोई ने कहा भी कि जल्द ही मास्टर प्लान का प्रारुप प्रकाशित कर दिया जाएगा। वहीं रियल इस्टेट कारोबारियों को राहत देने के लिए आवश्यक नियमों में संशोधन, टीडीएस पॉलिसी सहित अन्य प्रावधान भी लाए जा रहे हैं। दूसरी तरफ विभागीय सूत्रों का कहना है कि नगर तथा ग्राम निवेश में बैठे आला अधिकारी जहां भू-उपयोग परिवर्तन यानी उपांतरण के खेल में जुटे हैं। अभी पिछले दिनों ही कुछ उपांतरण प्रस्ताव मंजूर किए गए हैं। जबकि मास्टर प्लान की प्रक्रिया चल रही है, तो दूसरी तरफ धारा 16 के प्रकरणों में भी तगड़े लेन-देन के बिना फाइलें ही आगे नहीं बढ़ती। यह पूरा मामला अब मुख्यमंत्री के संज्ञान में भी लाया जा रहा है, ताकि 79 गांवों की विकास अनुमतियों के जो अधिकार भोपाली अफसरों ने हथिया रखे हैं और उसमें जो तगड़ा खेल चल रहा है वह बंद हो और इंदौर के रियल इस्टेट कारोबारियों को राहत मिले, जो बीते 16 महीने से बुरी तरह से त्रस्त हैं।
इन आधा दर्जन प्रकरणों को ही मिल पाई मंजूरी
धारा 16 के तहत एक बैठक पूर्व में हुई, जिसमें पेट्रोल पम्प और वेयर हाउस को अनुमति मिली, तो अभी 25 अप्रैल को हुई बैठक में 6 प्रकरण रखे थे, जिसमें 4 प्रकरणों को ही मंजूरी दी गई, जिसमें अमलीखेड़ा के रिद्धी-सिद्धी डवलपर के अलावा एक अन्य कैलाश, घनश्याम व अन्य को अनुमति दी गई। वहीं तीसरा प्रकरण ग्राम बिहाडिय़ा का आशियाना इन्फ्रा क्रिएशंस और डकाच्या का श्री सांई वेयर हाउसिंग का प्रोजेक्ट शामिल है।
इंदौर को दिए संशोधन अधिकार की फाइल भी भोपाल में अटकी
79 गांवों के कुछ मंजूर अभिन्यासों में आश्रयनिधि का झमेला भी फंसा है। भोपाल से इन मंजूर अभिन्यासों में संशोधन के अधिकार इंदौर दफ्तर को दिए गए। पंचायत क्षेत्रों में चूंकि ईडब्ल्यूएस-एलआईजी का प्रावधान अनिवार्य है। मगर इस संशोधन के अधिकार में भी यह स्पष्ट नहीं किया कि इन प्रकरणों को क्या भोपाल स्थित सिटोप यानी राज्य नियोजन संस्थान को भेजना पड़ेगा या नहीं। इस संबंध में भी भोपाल संशोधन अनुमति रोककर बैठा है।
समय पर मास्टर प्लान लाना सरकार की जिम्मेदारी
2021 का मास्टर प्लान 16 महीने पहले ही समाप्त हो चुका है और 2035 का मास्टर प्लान 2025 तक आने की संभावना नजर नहीं आती। दूसरी तरफ इंदौर तेजी से विकास कर रहा है। ऐसे में समय पर मास्टर प्लान लाना भाजपा की शिवराज सरकार की जिम्मेदारी है। क्योंकि मुख्यमंत्री इंदौर को अपने सपनों का शहर बताते हुए उसे दुनिया का सबसे विकसित शहर भी बनाने का दावा करते हैं।
इंदौर की सारी चमक-धमक रियल इस्टेट कारोबार से ही
इंदौर की जो वर्तमान में चमक-धमक है, वो रियल इस्टेट कारोबार की बदौलत ही है, क्योंकि शासन ने कभी भी अधिक मदद नहीं की। अब अवश्य मेट्रो, स्मार्ट सिटी जैसे प्रोजेक्ट लाए जा रहे हैं, लेकिन आईटी, एज्यूकेशन, हेल्थ सहित अन्य सेक्टरों में तरक्की रियल इस्टेट के कारण ही हुई है और इससे आने वाला पैसा ही अन्य सेक्टरों में खपता है। अभी सालभर में प्रदेश के अलावा देशभर से निवेशक इंदौर के रियल इस्टेट में पैसा लगा भी रहे हैं।
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