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    मुरैना के लेपा गांव में 9 लोगों का कत्ल के पीछे 10 साल पुरानी है दुश्‍मनी, जानिए पूरा मामला

    May 06, 2023

    मुरैना (Morena) । मुरैना के गोलीकांड (shootout) ने सबको दहला दिया है. दो परिवारों (two families) के बीच चला आ रहा जमीनी विवाद (land dispute) खूनी रंजिश में तब्दील हो गया. जो झगड़ा लाठी डंडों से शुरू हुआ था, वो बंदूकों की गोलियों तक जा पहुंचा. दोनों पक्ष आमने-सामने थे. गोलियां चलने लगीं और लाशें गिरने लगी. इस खूनी जंग में आज एक नहीं दो नहीं बल्कि 6-6 लोग मारे गए. दरअसल, इस गोलीकांड के पीछे 10 साल पुरानी अदावत की कहानी है, जिसमें अब तक 9 लोग मारे जा चुके हैं. इस पूरे मामले को समझने के लिए उस कहानी को जानना भी बेहद ज़रूरी है.

    साल 2013, मुरैना
    मुरैना शहर से करीब 45 किलोमीटर दूर मौजूद है लेपा गांव. जो विकास के मामले में आज भी पीछे नजर आता है. उसी गांव में तोमर बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले कई परिवार रहते हैं. उन्हीं में शामिल था धीर सिंह और गजेंद्र सिंह का परिवार. इन दोनों परिवारों के बीच वैसे तो कोई लेन-देने नहीं था. लेकिन गांव की एक जमीन का टुकड़ा इन दोनों परिवारों के बीच विवाद की वजह बन गया.


    धीर सिंह पक्ष के दो लोगों का कत्ल
    उसी साल दोनों परिवारों के बीच जमीनी विवाद बढ़ गया. एक दिन दोनों पक्ष आनने सामने आ गए. दोनों पक्ष के लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर था. नतीजा ये हुआ कि विरोधी पक्ष मौका देखकर धीर सिंह पक्ष के दो लोगों को साल 2013 में ही मौत के घाट उतार दिया. एक अन्य व्यक्ति भी इस दौरान घायल हुआ था, जिसकी बाद में अस्पताल में मौत हो गई थी. बस तभी से इन दोनों परिवारों के बीच चली आ रही रंजिश खूनी हो गई थी. इस वारदात के बाद गजेंद्र सिंह का परिवार गांव छोड़ कर चला गया था. आरोपी फरार हो गए थे.

    अदालत के बाहर समझौता
    मामला पुलिस से होते हुए अदालत में जा पहुंचा. काफी अरसे तक दोनों पक्ष अदालत के चक्कर लगाते रहे. मुकदमा चलता रहा. लेकिन इसी दौरान बिरादरी के लोगों ने दोनों पक्षों को एक साथ बैठाकर इस मामले में अदालत के बाहर समझौता करा दिया. समझौते की जानकारी लिखित में अदालत को भी दे दी गई. तरह से यह मामला शांत होता दिख रहा था.

    ज्यादा उपजाऊ नहीं है विवादित जमीन
    जिस जमीन को लेकर ये सारा विवाद हुआ था. वो कोई ज्यादा उपजाऊ जमीन नहीं है. वो करीब 4 से 6 एकड़ जमीन बताई जाती है, जिसका एक बड़ा हिस्सा पथरीला है. बाकी बचे हिस्से पर अधिकांश सरसों की खेती की जाती है. उस जमीन पर धीर सिंह और गजेंद्र सिंह दोनों ही पक्ष अपना मालिकाना हक जताते रहे हैं. इसी वजह से साल 2013 में तीन लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी.

    5 मई 2023
    दोनों पक्षों में समझौता हो जाने के बाद मामला शांत था. लिहाजा, गजेंद्र सिंह का परिवार हाल ही में लेपा गांव वापस लौट आया था. वो फिर से वहीं अपना घरबार बसा रहे थे. उन्हें इस बात का ज़रा भी अंदाजा नहीं था कि दूसरा पक्ष अभी तक बदले की आग में जल रहा है. शुक्रवार की सुबह अचानक धीर सिंह पक्ष के लोगों ने गजेंद्र सिंह पक्ष के लोगों पर हमला बोल दिया. पहले दोनों पक्षों के बीच लाठी-डंडे चलते रहे. गंजेंद्र सिंह पक्ष के लोगों को जमकर पीटा गया. उनके साथ खूब मारपीट की गई. धीर सिंह पक्ष के लोगों ने किसी को नहीं बख्शा. महिला हो या पुरुष सबको पीटा गया.

    श्यामू और अजीत ने बरसाईं गोलियां
    इसके बाद धीर सिंह पक्ष के श्यामू और अजीत ने मिलकर गजेंद्र सिंह और उसके परिवार पर फायरिंग शुरू कर दी. बंदूकें गरजने लगी. गोलियों की आवाज़ से गांव के लोग दहल गए. धीर सिंह पक्ष के एक शख्स के हाथ में राइफल थी. वो अंधाधुंध गोलीबारी कर रहा था. इसी गोलीबारी के बीच कई लोग खून से लहूलुहान होकर जमीन पर गिर पड़े. शोर शराबा मचता रहा. लेकिन गोली चलाने वाले नहीं थमे. वो बार-बार राइफल लोड करते रहे और गोलियां बरसाते रहे. चीख पुकार मचती रही.

    मौके पर ही मारे गए थे तीन लोग
    जब फायरिंग थमी तो गोली लगने से कई लोग घायल हो चुके थे. तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो चुकी थी. इस दौरान 4 महिलाएं भी घायल थीं. सभी घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया. जहां तीन लोगों ने दम तोड़ दिया. हमलावर मौके से फरार हो चुके थे. इस नरसंहार की जानकारी मिलने के बाद भारी पुलिस बल गांव में पहुंचा.

    गांव में तैनात है पुलिस
    एएसपी रायसिंह नरवरिया ने जानकारी देते हुए बताया है कि इस गोलीबारी में 6 लोगों के मरने की पुष्टि हो गई है. कुछ लोग घायल हैं, जिनका अस्पताल में इलाज किया जा रहा है. मरने वालों की लाशों को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी में रखवाया गया है. केस दर्ज कर लिया गया है. गांव में पुलिसबल की तैनाती की गई है. मामले में जांच जारी है.

    कब बुझेगी बदले की आग
    इस सामूहिक हत्याकांड का वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. घटना के बाद से गांव में तनाव का माहौल है. जिस तरह से इस खूनी वारदात को अंजाम दिया गया है, उसे देखकर लगता है कि ये सब कुछ पूरी प्लानिंग के साथ किया गया था. दस साल से चली आ रही इस खूनी रंजिश में अब तक 9 लोग मारे जा चुके हैं. लेकिन बदले की आग अभी तक बुझी नहीं है.

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