इंदौर। मध्य प्रदेश में साल 2023 के अंत में विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) होने वाले है। बीजेपी-कांग्रेस (BJP-Congress) दोनों ने ही अपनी तैयारी तेज कर दी है। मिशन 2023 के लिए कांग्रेस ने भाजपा में फुट डालकर टक्कर देने की रणनीति बनाई है। इसके लिए कांग्रेस भाजपा के नाराज और असंतुष्ट नेताओं (dissident leaders) को अपने साथ लाने पर काम कर रही है। इसको लेकर भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय (BJP National General Secretary Kailash Vijayvargiya) का एक बयान सामने आया है। जिसमें विजयर्गीय कह रहे है कि संगठन ने अपनी गलतियां ठीक नहीं की तो भाजपा ही भाजपा को हरा सकती है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि मुझे कहने में कोई संकोच नहीं कि आज की तारीख में मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को कांग्रेस नहीं हरा सकती। कांग्रेस में दम नहीं हैं। विजयवर्गीय आगे कहते है कि हां, यदि हमने संगठन की गलतियों को ठीक नहीं किया तो भाजपा ही भाजपा को हरा सकती है। यह बात ठीक है कि हममें कुछ कमियां है, जिनको हम ठीक कर रहे हैं। भाजपा की चिंता नाराज, असंतुष्ट नेताओं और कार्यकर्ताओं ने बढ़ा दी है। कांग्रेस से ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ 2018 में चुनाव जीते कई विधायक भाजपा में शामिल हुए। इस वजह से कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार गिर गई थी। फिर भाजपा ने सरकार बना ली। इसके बाद कांग्रेस से आए विधायकों ने उपचुनाव में भाजपा की टिकट पर चुनाव में जीत दर्ज की। इसमें से अधिकतर शिवराज कैबिनेट में मंत्री हैं। इसके बाद उस क्षेत्र के पुराने भाजपा नेता अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। वहीं, कांग्रेस का उनके क्षेत्र में संगठन पूरी तरह खत्म हो गया।
भाजपा में जाने वाले विधायकों के क्षेत्र में कांग्रेस का संगठन पूरी तरह खत्म हो गया। अब कांग्रेस को उन क्षेत्र में भाजपा को टक्कर देने वाले जिताऊ उम्मीदवार की तलाश है। इसके लिए भाजपा ने नई भाजपा को पुरानी भाजपा से टक्कर देने की रणनीति बनाई है। इसके लिए कमलनाथ और दिग्विजय सिंह दोनों लगातार प्रदेश में दौरे कर रहे हैं। वह, कांग्रेस की हारी सीटों के अलावा इन सीटों पर उम्मीदवार की तलाश कर रहे हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इसके लिए पार्टी भाजपा के जनाधार वाले नाराज नेताओं को साधने की कोशिश कर रही है। जिनको टिकट देकर नई भाजपा को टक्कर देने की रणनीति बनाई गई है।
हाटपिपलिया सीट से बीजेपी के विधायक रहे दीपक जोशी को पिछली बार कांग्रेस के मनोज चौधरी ने हरा दिया था। 2020 में सिंधिया के साथ मनोज चौधरी भी भाजपा में शामिल हो गए। उपचुनाव में दोबारा चुनाव जीत कर विधायक बन गए। अब 2023 में मनोज चौधरी ही भाजपा का चेहरा होंगे। अब दीपक जोशी ने कांग्रेस ज्वाइन करने का एलान कर दिया है। हालांकि उन्होंने चुनाव नहीं लड़ने की बात भी कही है। वहीं, अशोकनगर की मुंगावली सीट पर बृजेंद्र सिंह यादव भाजपा में शामिल हो गए थे। यहां से भाजपा से तीन बार के विधायक देशराज सिंह यादव रहे हैं। कुछ समय पहले उनके बेटे यादवेंद्र यादव ने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की है। ऐसे में उनका मुंगावली से चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है। इसी तरह बदनावर से चुनाव लड़ने वाले भंवर सिंह शेखावत, ग्वालियर से अनुप मिश्रा के खुलकर नाराजगी की बात सामने आ रही है। जानकरों का कहना है कि आने वाले समय में भाजपा में असंतुष्ट नेताओं की संख्या बढ़ेगी।
वरिष्ठ पत्रकार प्रभु पटैरिया का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस मुक्त अभियान की शुरुआत की थी। अब भाजपा कांग्रेस को मुक्त करने के बजाए युक्त होती जा रही है। सिंधिया के साथ भजापा में कांग्रेस के लोग आए, उनके कारण जगह-जगह तकरार की स्थिति है। अब भाजपा का मूल कैडर अपने आपको ठगा महसूस कर रहा है। क्योंकि जिनसे वह चुनाव लड़ते रहे, उनको ही अब इन्हें जिताने की जिम्मेदारी दी जा रही है। इस वजह से भाजपा कार्यकर्ता या तो घर बैठेगा या भीतरघात करेगा या कांग्रेस या अन्य दलों में चला जाएगा। क्योंकि 2023 चुनाव को भाजपा कार्यकर्ता अपने अस्तित्व की जंग मानकर चल रहे हैं। पार्टी के बड़े नेता इन खतरों को भांप रहे हैं लेकिन उनको अभी तक इसका समाधान नहीं मिला है।
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