जो एयरपोर्ट पर नहीं है वो सुविधा रेलवे स्टेशन पर नजर आएगी
यात्रियों को न सामान ढोना पड़ेगा न पैदल चलना पड़ेगा
इंदौर। शहर के रेलवे स्टेशन रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट (Railway Station Redevelopment Project) के तहत अब मुख्य रेलवे स्टेशन से आईलैंड प्लेटफॉर्म के बीच ट्रेवलेटर लगाया जाएगा। लगभग 400 मीटर लंबी इस मशीन से लोग बिना चले ही मुख्य स्टेशन से आईलैंड प्लेटफॉर्म के बीच आना-जाना कर सकेंगे। अभी यात्रियों को शास्त्री ब्रिज (Shastri Bridge) के नीचे बने पाथ-वे से होकर पैदल आना-जाना पड़ता है। आजकल ट्रेवलेटर बड़े एयरपोर्ट पर दिखने को मिलते हैं। इंदौर में दोनों तरफ मिलाकर (400-400) 800 मीटर लंबाई में ट्रेवलेटर लगाए जाएंगे।
इंदौर रेलवे स्टेशन रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट में यह अहम बदलाव रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अनिलकुमार लाहोटी की पहल पर हो रहा है। बुधवार को चेयरमैन ने जब स्टेशन रीडेवलपमेंट प्लान का प्रेजेंटेशन देखा तो उन्होंने इस बात पर गौर किया कि मुख्य स्टेशन से आईलैंड प्लेटफॉर्म के बीच आने-जाने के लिए वर्तमान में पाथ-वे तो है, लेकिन नए प्लान में इसके साथ ट्रेवलेटर लगाने की योजना नहीं है। उन्होंने तुरंत अफसरों से कहा कि इसमें दोनों स्टेशनों के बीच ट्रेवलेटर लगाने का प्रावधान भी करें, वरना महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को दूर तक चलकर जाने में बहुत तकलीफ होती है। सामान ढोकर आना-जाना कठिन है। इसके बाद अधिकारियों ने प्रोजेक्ट में बदलाव करने की तैयारी कर ली है। पश्चिम रेलवे मुंबई मुख्यालय इंदौर रेलवे स्टेशन रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट को नई दिल्ली स्थित रेलवे बोर्ड भेजने से पहले ट्रेवलेटर लगाने का प्रस्ताव जोड़ देगा। चेयरमैन ने निर्देश दिए हैं कि दोनों स्टेशनों के बीच आने-जाने के लिए अलग-अलग ट्रेवलेटर लगाए जाएं। इससे मुख्य स्टेशन से आईलैंड प्लेटफॉर्म और आईलैंड प्लेटफॉर्म से मुख्य स्टेशन तक आने-जाने वालों को सुविधा मिल सकेगी।
गफलत में ऑटो रिक्शा में बैठ जाते हैं यात्री
जो यात्री ट्रेनें आईलैंड प्लेटफॉर्म से जाती हैं, उनमें सवार होने वाले कुछ यात्री गफलत या अनजाने में आईलैंड प्लेटफॉर्म के बजाय सीधे मुख्य स्टेशन पहुंच जाते हैं। स्टेशन पहुंचकर उन्हें पता चलता है कि उनकी ट्रेन तो आईलैंड प्लेटफॉर्म से जाएगी। ट्रेन छूटने के डर से यात्री कई बार ऑटो रिक्शा में सवार हो जाते हैं। ऐसी शिकायतें कई बार आती हैं कि रिक्शा चालक मुख्य स्टेशन से आईलैंड प्लेटफॉर्म तक जाने के लिए बाहरी यात्रियों से 50 से 70 रुपए तक वसूल लेते हैं। यात्रियों को बताया जाता है कि आईलैंड प्लेटफॉर्म दूर है और यह कहते हुए थोड़ा लंबा घुमाकर वहां तक ले जाते हैं।
समतल सतह पर लगाए जाते हैं ट्रेवलेटर
ट्रेवलेटर एस्केलेटर का ही एक रूप है, जो स्वचालित होता है। अंतर केवल इतना होता है कि एस्केलेटर चढ़ाव जैसे होते हैं, जबकि ट्रेवलेटर समतल सतह पर लगाया जाता है। बड़े एयरपोर्ट या मॉल आदि में लोगों को बहुत लंबी दूरी चलकर नहीं तय करना पड़े, इसके लिए ट्रेवलेटर लगाए जाते हैं। ट्रेवलेटर में यात्री अपना सामान लेकर सवार हो सकेंगे और सीधे एक से दूसरी दिशा में आ-जा सकेंगे।
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