नई दिल्ली (New Delhi)। प्रवर्तन निदेशालय (ED) के डायरेक्टर को सेवा विस्तार नहीं देने के निर्देश के बावजूद उनके कार्यकाल की अवधि तीसरी बार बढ़ाए जाने पर सुप्रीम कोर्ट (SC) ने केंद्र सरकार से तीखा सवाल किया है और पूछा कि क्या इस पद के लिए और कोई एजेंसी (Ajency) में सक्षम अधिकारी नहीं है।
बता दें कि सक्षम अधिकारी नहीं सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) के निदेशक संजय कुमार मिश्रा को तीसरी बार सेवा विस्तार दिए जाने पर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार से सवाल किया और पूछा कि क्या “एक व्यक्ति इतना अपरिहार्य हो सकता है?” कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह भी पूछा कि क्या एजेंसी में कोई दूसरा काबिल और सक्षम अधिकारी नहीं है, जिसे इस पद पर बिठाया जा सके?
इस पूरे मामले में जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संजय करोल की तीन सदस्यीय खंडपीठ प्रवर्तन निदेशालय के प्रमुख के कार्यकाल के साथ-साथ केंद्रीय सतर्कता आयोग (संशोधन) अधिनियम, 2021 के नए विस्तार को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक बैच की सुनवाई कर रही थी। केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता मामवले की पैरवी कर रहे थे। खंडपीठ ने कहा कि आपके अनुसार, ईडी में कोई और काबिल नहीं है, फिर 2023 के बाद एजेंसी का क्या होगा, जब वह सेवानिवृत्त हो जाएंगे?”
मिश्रा को शुरुआत में ईडी निदेशक के रूप में दो साल के कार्यकाल के लिए नियुक्त किया गया था, जो नवंबर 2020 में समाप्त हो रहा था। बाद में उनका कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही, उन्हें एक साल का सेवा विस्तार दिया गया था, जिसे एक एनजीओ, कॉमन कॉज़ ने शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी।
सितंबर 2021 में एक फैसले में अदालत ने यह देखते हुए मिश्रा के सेवा विस्तार की अनुमति दे दी थी कि उनका कार्यकाल लगभग दो महीने में समाप्त हो रहा है। हालाँकि, अदालती फैसले में स्पष्ट था कि मिश्रा को और कोई सेवा विस्तार नहीं दिया जाएगा। इसके बाद केंद्र सरकार ने 15 नवंबर, 2021 को ईडी और केंद्रीय जांच ब्यूरो के प्रमुखों की नियुक्ति को नियंत्रित करने वाले केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) अधिनियम और दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम में संशोधन किए।
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