पार्षदों से लेकर मंत्रियों के पास थोक सिफारिशें, हर कोई अपनी मनमाफिक पोस्टिंग करवाने की जुगाड़ में
इंदौर। अभी सारी राजनीतिक कवायदें आने वाले विधानसभा चुनाव (assembly elections) के मद्देनजर ही की जा रही है, जहां लोक लुभावनी योजना ओं का लगातार प्रचार-प्रसार, घोषणाएं की जा रही है, तो दूसरी तरफ तबादला उद्योग के ताले भी खोले जा रहे हैं। 2023 की ट्रांसफर पॉलिसी (Transfer Policy) कैबिनेट के जरिए मंजूर की जाएगी। यह बैठक आज की बजाय कल रखी गई है। सभी विभागों को इस पॉलिसी का इंतजार है, क्योंकि हजारों की संख्या में तबादले होंगे और प्रदेश में जो विगत कई वर्षों से तबादला उद्योग प्रसिद्ध रहा है उसमें करोड़ों के वारे न्यारे भी होंगे। अदने से कार्यकर्ता, पार्षदों से लेकर मंत्रियों के पास थोक में सिफारिशी चिट्ठियां अपनी पसंद के अधिकारियों-कर्मचारियों के लिए पहुंच गई है।
प्रदेश सरकार हालांकि सालभर ही प्रमुख अधिकारियों के तबादले तो करती रहती है, जिनमें कलेक्टर से लेकर अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल होते हैं। वहीं सालभर में अप्रैल-मई के महीने में तबादला उद्योग भी जोर-शोर से खुलता है, जिसमें मानसूनी बारिश की तरह तबादला सूची धड़ाधड़ जारी होती है। शिक्षा विभाग से लेकर कई ऐसे महकमे हैं जहां हजारों की संख्या में ये तबादले होते हैं। सबसे अधिक स्कूली शिक्षा विभाग में 30 हजार तक तबादले किए जाना है, तो पुलिस विभाग भी सबसे अधिकक महत्वपूर्ण है। इसके अलावा राजस्व, अजा-जजा, लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण से लेकर स्वास्थ्य विभाग, निगमों के साथ-साथ सभी विभागों में तबादलों की झड़ी लगेगी। सामान्य प्रशासन विभाग ने तबादला उद्योग के ताले खोलने की तैयारी कर ली है। हालांकि लगभग एक पखवाड़े यानी 15 दिन के लिए यह उद्योग खुलेगा और चार लाख से अधिक विभिन्न विभागों में तबादले होने की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। भोपाल में मंत्रियों के बंगलों से लेकर वल्लभ भवन में मनचाही ट्रांसफर पोस्टिंग हासिल करने वालों की भीड़ तो है ही, वहीं दलालों से लेकर राजनीतिक से जुड़े सभी इसमें सक्रिय रहेंगे। प्रदेश में चूंकि भाजपा की सरकार है, लिहाजा उसके गली-मोहल्ले के कार्यकर्ताओं से लेकर वार्ड पार्षद, नगर-जिला पदाधिकारी, सांसद-विधायक, निगम मंडलों के अध्यक्षों के साथ-साथ सभी मंत्रियों के पास सिफारिशी चिट्ठियां थोक में पहुंच गई है। चूंकि इसी साल नवम्बर-दिसम्बर में विधानसभा के चुनाव होना है, लिहाजा हर कोई मनचाही पोस्टिंग करवाने की जुगाड़ में लगा है। हालांकि कई महत्वपूर्ण विभागों के अधिकारी होशियार भी हैं। उनका कहना है कि अभी 6 महीने का समय भी काम करने के लिए नहीं मिलेगा और आचार संहिता लग जाएगी। फिर उसके बाद चुनाव में सरकार किसकी बनती है यह भी तय नहीं है। लिहाजा अभी हजारों लाखों रुपए खर्च कर पोस्टिंग करवाने का कोई मतलब भी नहीं है। इसकी बजाय चुनाव बाद नए समीकरण के अनुरूप पोस्टिंग करवाना ज्यादा लाभदायक रहेगा। फिर भी करोड़ों के वारे न्यारे इस बार के तबादला उद्योग में होना तय है
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