डेस्क: एक मई को दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस (International labour day) मनाया जाता है. इसको कामगार दिवस, श्रम दिवस या श्रमिक दिवस (labour) के नाम से भी जाना जाता है. हालांकि कई देशों में इसको अलग-अलग दिन मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों को श्रमिकों (Labours) और उनकी समस्याओं के प्रति जागरूक करना है. इस दिवस की शुरुआत अमेरिका में 135 साल पहले हुई थी. इस दिन अमेरिका के हजारों मजदूरों ने अपने काम की स्थितियां बेहतर करने के लिए हड़ताल शुरू की थी. वे चाहते थे कि उनके काम करने का समय एक दिन में 15 घंटे से घटाकर 8 घंटे किया जाए. इसके लिए उन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ा. अंततः उन्हें सफलता मिली. तब से एक मई का दिन मजूदर क्रांति (Labour revolution) की सफलता का ही नहीं, दुनिया भर में मजदूरों के हितों और उनके सम्मान के लिए मनाया जाने लगा.
अमेरिका से हुई थी शुरुआत
मजदूर दिवस मनाने के पीछे की वजह अमेरिका में 1 मई 1886 से शुरू हुआ विरोध-प्रदर्शन है. जानकारी के मुताबिक, वहां की कंपनियों में काम करने वाले वकर्स ने काम के घंटे आठ करने की लंबी मांग के बाद काम बंद कर दिया था. हड़ताल शुरू हुए चार दिन भी पूरे नहीं हुए थे, कि तभी अमेरिका के शिकागो की हे-मार्केट में एक धमाका हुआ. इसके बाद 4 मई को धमाके के जवाब में पुलिस ने प्रदर्शनकारी मजदूरों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाईं. इसमें कई मजदूरों की जान चली गई थी. यह दहशत और गुस्से का माहौल देश भर में फैल गया. आखिर में प्रशासन को झुकना पड़ा और श्रमिकों की मांगों को स्वीकृति दे दी थी. हालांकि, अमेरिका में राष्ट्रीय मजदूर दिवस सितंबर महीने के पहले सोमवार को मनाया जाता है.
भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत और थीम
भारत में मजदूर दिवस एक मई को ही मनाया जाता है. भारत (India) में सबसे पहले मजदूर दिवस 1923 में वामपंथियों ने चेन्नई में मनाया था. इसके बाद से देश के कई मजदूर संगठन ने मई दिवस को अपनाया और आज देश में एक मई को श्रमिक दिवस मनाया जाता है. वहीं, इस बार अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस 2023 की थीम है सकारात्मक सुरक्षा और स्वास्थ्य संस्कृति का निर्माण (Act together to build a positive safety and health culture) के लिए मिलकर कार्य करें.
मजदूर दिवस एक मई को ही क्यों
शिकागो की घटना के बाद यूरोप में जब मजदूरों के लिए हड़ताल और प्रदर्शन किए गए तो 1 मई को चुना गया. शिकागो आंदोलन के कारण ही सप्ताह में एक दिन छुट्टी का रखा गया. वहीं, इस आंदोलन के बाद सबसे पहले एक मई 1890 के दिन को यूरोप और अमेरिका में व्यापक प्रदर्शन के लिए चुना गया. धीरे धीरे जब मजदूरों के लिए कोई बड़ा प्रदर्शन और हड़ताल करनी होती थी तो वह एक मई को ही आयोजित की जाने लगी. आज भी दुनिया के कई देशों में एक मई का दिन मजदूरों के लिए छुट्टी का दिन होता है.
कनाडा भी अमेरिका की तर्ज पर
कनाडा में 1894 से सितंबर के पहले सोमवार को मजदूर दिवस मनाया जाता है. यहां श्रमिकों के संघर्ष का अपना अलग इतिहास है. लेकिन इसमें अमेरिका के मजदूर आंदोलनों का भी तालमेल रहा है. इसलिए अमेरिका की तरह ही कनाडा में भी मजदूर दिवस उसी दिन मनाया जाता है. इसी दिन कनाडा में अवकाश भी रहता है. जिन देशों में मजदूर दिवस नहीं मनाया जाता है, उनमें कुछ अफ्रीका, कुछ खाड़ी देश और मंगोलिया शामिल हैं. वहीं, जापान में 23 नवंबर को थैंक्सगिविंग डे के साथ मजदूर दिवस मनाया जाता है. लेकिन ऑस्ट्रेलिया में तो हर प्रांत का ही अलग अलग मजदूर दिवस हैं. कजाकिस्तान में सितंबर महीने का अंतिम रविवार मजदूर दिवस होता है.
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