उज्जैन। माधव क्लब फ्रीगंज के समीप स्थित दवा बाजार की सबसे बड़ी दवा फर्म की दुकान में आज सुबह शॉर्ट सर्किट से आग लग गई। आग लगने की भनक लगते ही वहाँ बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ जमा हो गई और भगदड़ की स्थिति बन गई। सूचना मिलते ही दुकान संचालक और पुलिस पहुँच गई और दमकल की तीन गाडिय़ा पहुँची और एक घंटे की मशक्कत के बाद आग बुझाने में सफलता मिली। यहाँ पहले भी आग लगने की घटना हो चुकी है और और इसके बावजूद अभी तक यहाँ पर फायर एनओसी नहीं ली गई है। फायर अधिकारी ने बताया कि माधव क्लब के समीप स्थित तीन मंजिलाव थोक दवा बाजार में 300 के लगभग दवा की दुकाने हैं, जहां प्रतिदिन करोड़ों रुपए का व्यापार होता है और इस दवा बाजार की सुरक्षा के लिए अभी तक फायर एनओसी नहीं ली गई। कुछ समय पहले भी यहां आग लगी थी और आज सुबह 8 बजे भी यहाँ के मार्केट की सबसे बड़ी एजेंसी जी-फार्मा नामक दुकान में आग लग गई। दुकान से धुंआ निकलते देख यहाँ के व्यापारियों ने और रहवासियों में हड़कंप मच गया और भगदड़ की स्थिति बन गई। मौके पर बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ लग गई थी और फायर ब्रिगेड को सूचना दी गई।
तत्काल दमकल की तीन गाडिय़ों ने मौके पर पहुंचकर आग बुझाने का काम शुरू किया। एक घंटे से अधिक की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया जा सका। इस अग्निकांड की सूचना मिलने के बाद जी-फार्मा का मालिक उदय अग्रवाल निवासी फ्रीगंज भी मौके पर आ गया था। उसने बताया कि पूरे मार्केट में उसी की सबसे बड़ी दुकान है और इस आग लगने की घटना में लाखों रुपए की दवा जल गई है लेकिन अभी तक आग से हुए नुकसान का आंकलन नहीं हो पाया है। पुलिस का अनुमान है कि यहाँ पर एक करोड़ से अधिक का नुकसान हो सकता है। उल्लेखनीय है कि माधवनगर के समीप इस दवा बाजार को बनाने में करोड़ों रुपए खर्च किए गए थे और प्रतिदिन यहाँ करोड़ों रुपए का व्यापार होता है। पूर्व में हुई घटना के बाद यहाँ की फायर एनओसी कराने को कहा गया था लेकिन इसके बावजूद अब तक यहां फायर एनओसी नहीं कराई गई। यह एक बड़ा जांच का विषय है। निगमायुक्त को चाहिए कि वह छोटी-छोटी होटलों पर जाकर फायर एनओसी लेने की बात कर रहे हैं लेकिन इतने बड़े मार्केट में अभी तक फायर एनओसी क्यों नहीं ली गई इस मार्केट को भी सील करने की कार्रवाई होना चाहिए, तभी जाकर यह फायर एनओसी लेंगे और यहां के दुकान सुरक्षित हो सकेंगे। इधर नीलगंगा पुलिस ने बताया कि मामले में जांच की जा रही है और आग लगने का सही कारण पता लगाया जा रहा है।
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