भोपाल: 70 साल बाद नामीबिया और दक्षिण अफ्रिका से भारत लाए गए चीते अब नामीबिया व दक्षिण अफ्रिकी नाम से नहीं, बल्कि भारतीय नामों से जाने जाएंगे. नामीबिया से लाया गया चीता ओबान अब पवन के नाम से पहचाना जाएगा, जबकि मादा सवात्रा को नाभा नाम दिया गया है. चीतों के नाम की जानकारी की घोषणा पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने ट्वीट कर दी. बता दें दक्षिण अफ्रिका व नामीबिया से लाए गए चीतों के नाम के सुझाव आम जनता से ही मांगे गए थे.
जानकारी के अनुसार, भारत में चीतों को बसाने के लिए 70 साल बाद दक्षिण अफ्रिका और नामीबिया से चीते लाए गए हैं. पहली खेप में नामीबिया से आठ चीते, जबकि दूसरी खेप में दक्षिण अफ्रिका से 12 चीते लाए गए थे. इन चीतों को मध्य प्रदेश के श्यापुर स्थित कूनो नेशनल पार्क में रखा गया है. चीतों की पहली खेप को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने जन्मदिन के मौके पर स्वयं इन्हें कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा था. चीतों का यह नायाब तोहफा मध्य प्रदेश सरकार द्वारा प्रधानमंत्री को दिया गया था. इन चीतों में से एक मादा चीता की मौत हो गई है, जबकि अच्छी बात यह है कि एक मादा चीता द्वारा शावकों को जन्म दिया गया, जिससे चीतों के कुनबे में इजाफा भी हुआ है.
किसे मिला कौन सा नाम
बता दें मध्य प्रदेश के श्योपुर में स्थित चीतों के भारतीय नाम रखे जाने के लिए भारत सरकार ने आम जनता से चीतों के नाम मांगे थे. आम जनता द्वारा जो नाम दिए गए उनमें से नामीबिया से लाई गई मादा चीता को आशा, ओबान को पवन, सवात्रा को नाभा, सियाया को ज्वाला, एल्टन को गौरव, फ्रेडी को शौर्य और तिब्लिसी को धात्री नाम दिया गया है.
वहीं, साउथ अफ्रीका से आए 12 चीतों में मादा फिडा को दक्षा, मापेसू को निर्वा, फिडा नर को वायु, फिंडा नर को अग्नि, स्वालू मादा को गामिनी, स्वालू नर को तेजस, स्वालू मादा को वीरा, स्वालू नर को सूरज, वाटरबर्ग को बायोस्फीयर, वयस्क मादा को धीरा तो एक नर को उदय, दूसरे को प्रभाष व तीसरे को पावक नाम दिया गया है. खास बात यह है कि पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव द्वारा ही ट्वीट कर चीतों के नाम की घोषणा की है.
पीएम मोदी ने की थी अपील
बता दें दक्षिण अफ्रिका और नामीबिया से लाए गए चीतों के प्रति देश की जनता में प्रेम जगाने के उद्देश्य से 24 सितंबर को अपने मन की बात कार्यक्रम के दौरान पीएम ने चीतों के नाम सुझाने के लिए देश की जनता से अपील की थी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अपील के बाद ही देश की जनता ने चीतों के नाम सुझाए थे, इन नामों का चयन कर अब चीतों को भारतीय नाम दिए गए हैं.
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