नई दिल्ली: अरुणचाल प्रदेश में चीन नजरें गड़ाए हुए है. बार-बार वो कुछ न कुछ तनाव पैदा करने वाली हरकतें करता रहा है. पहले तवांग में उसने कब्जा करने की कोशिशें कीं. भारतीय जवानों ने ऐसा सबक सिखाया कि वापस सैनिकों को लौटना पड़ा. इसके बाद जी20 बैठक की एक मीटिंग अरुणाचल रखी गई तो चीन ने उससे बायकॉट कर लिया.
भारत को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा तो उसने यहां की कुछ जगहों के नाम ही बदल दिए. अब भारत ने अरुणाचल में रेलवे का नेटवर्क बढ़ाने जा रहा है. इसके लिए तैयारियां पूरी हो रही हैं. जल्द ही चीन को फिर भारत अपनी भाषा में जवाब देगा. रेलवे और टेलीकॉम मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने बताया है कि टेलीकॉम के साथ-साथ रेलवे के तीन बड़े प्रोजेक्ट पर हम आगे बढ़ रहे हैं.
हो चुकी हैं कई मीटिंग्स
इसको लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह और अरुणाचल प्रदेश के प्रशासन से साथ कई मीटिंग हो चुकी हैं. इसका खाका तैयार हो गया है. जल्दी ही काम भी शुरू हो जाएगा. इटानगर में चल रहे कार्यक्रम में कानून मंत्री किरेन रिजिजू भी मौजूद थे. जबकि दिल्ली से टेलीकॉम व रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव और MOS संचार ऑनलाइन कार्यक्रम में जुड़े.
भारत की कूटनीति से चीन बेबस
चीन को इस खबर से दुख तो बहुत होगा मगर वो कुछ नहीं कर सकता. भारत की कूटनीति के आगे चीन बेबस है. भारत के इस अभिन्न हिस्से को वो साउथ तिब्बत का एरिया बताता है. चूंकि यहां के कई गांव कनेक्टिविटी से अभी भी दूर हैं. चीन यहां पर अपनी चाल चलता रहता है. अब बहुत जल्द अरुणाचल के सभी बॉर्डर एरिया भारत के सिग्नल की ही कनेक्टिविटी मिलेगी. अगले दो तीन माह में रोजाना भारत में बने 200-300 टावर लगाए जाएंगे. भारतनेट की सक्सेज स्टोरी ये है कि सवा लाख से ज्यादा कनेक्शन रोजाना हो रहे हैं और गांव में बैठे लोगों को इसका लाभ मिल रहा है.
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