नई दिल्ली (New Delhi)। हांगकांग (hong kong) की एक यूनिवर्सिटी में शोधकर्ताओं (researchers at the university) की एक टीम ने बॉक्स जेलीफिश जैसी दिखने वाली एक नई प्रजाति की खोज की है। रिसर्च के मुताबिक, जेलीफिश की इस नई प्रजाति का नाम त्रिपेडालिया माईपोएंसिस (Tripedalia Maipoensis) दिया गया है। यूनिवर्सिटी की तरफ से जारी एक प्रेस रिलीज में बताया गया है कि खोज की जाने वाली नई प्रजाति के बारे में और जानने के लिए शोधकर्ताओं ने काम करना शुरू कर दिया है। अनोखी बात है कि त्रिपेडेलिया माईपोएंसिस नाम की यह प्रजाति 24 आंखों वाली है।
24 आंखों वाली प्रजाति की खोज
इस प्रजाति के 24 आंखें 4 के समूह में मौजूद हैं। जेलीफिश की तरह इसमें 10 सेंटीमीटर तक लंबे तीन टेंट बने हैं, जो नाव के पैडल की तरह दिखते हैं। ये टेंट इनकी बनावट को मजबूती देते हैं। रिसर्च में बताया गया है कि यह अन्य प्रकार की जेलिफिश की तुलना में त्रिपेडालिया माईपोएंसिस प्रजाति तेजी से तैर सकती है। शोधकर्ताओं का मानना है कि 24 आंखों वाली इस प्रजाति में दो आंखों में लेंस हैं, जिनके सहारे ये देख सकती हैं। अन्य चार केवल प्रकाश को महसूस कर सकते हैं।
काफी जहरीली होती हैं बॉक्स जेलीफिश
इस प्रजाति की खोज के बाद समुद्र में जैव विविधता के बढ़ने के संकेत नजर आते हैं। जानकारों के मुताबिक, बॉक्स जेलीफिश (jelly fish) चीनी समुद्री जल में बहुत कम पाई जाती है। बॉक्स जेलीफिश क्यूब के आकार का होती है जो काफी जहरीली होती है। जेलिफिश की कुछ प्रजातियां एक वयस्क इंसान को भी तीन मिनट में मार सकती हैं। बॉक्स जेलीफिश छोटी मछलियों का शिकार करती है, मछलियां उनके संपर्क में आने पर तुरंत लकवाग्रस्त हो जाती हैं। बॉक्स जेलीफिश की कुछ प्रजातियां दिन में शिकार करती हैं और रात में समुद्र तल पर आराम करती हैं।
जेलीफिश के बारे में
जेलीफिश का वैज्ञानिक नाम Scyphozoa है। जेलीफिश एक समुद्र में रहने वाला जीव है। जेलीफिश लगभग हर एक समुद्र में सतह में पाई जाती हैं। लेकिन वहीं कुछ जेलीफिश ऐसी भी होती हैं, जो बिल्कुल साफ पानी में पाई जाती हैं। कुछ बड़ी और रंगीन जेलीफिश भी होती हैं जो लगभग विश्व भर में सामान्यतः तटीय क्षेत्रों में पाई जाती हैं। जेलीफिश को अमेरिका जैसे देश के मछली घरों में जैली या समुद्री जैली के नाम से बुलाते हैं। जेलीफिश के समूह को कभी कभी ब्लूम या झुण्ड भी कहते हैं। ब्लूम शब्द का प्रयोग आमतौर पर छोटे क्षेत्रों में इकठ्ठे होने वाले बड़े-बड़े समूहों के लिए प्रयोग में जाता है।
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