जबलपुर। जबलपुर मंडल समेत पश्चिम मध्य रेलवे जोन ने अपने तीनों मंडल में रेलवे ट्रैक के आसपास पड़ा लोहे का रिकार्ड तैयार किया। इसके लिए मंडल से गुजरने वाली रेलवे की पटरियों के ऊपर ड्रोन उड़ाकर इसका सर्वे किया गया। इतना ही नहीं सर्वे के दौरान रेलवे ट्रैक के दोनों ओर लगभग एक किमी के दायरे में बड़ी मात्रा में लोहे का कबाड़ और रेलवे पटरियां मिली। जिसका पूरा रिकार्ड तैयार किया गया। यह कदम रेलवे के लोहे की सुरक्षा के लिए उठाया गया। जबलपुर रेल मंडल से गुजरने वाली लगभग 800 किमी लंबी पटरियों की सुरक्षा के लिए रेलवे ने कई कदम उठाए, लेकिन वहीं ट्रैक के दोनों ओर पड़ी पटरियों की सुरक्षा करने के जिन रेलवे इंजीनियरिंग विभाग के जिन अधिकारी और आरपीएफ के जिन जवानों को तैनात किया, अब वे भी चोर निकल आए है। जबलपुर रेल मंडल में भिटौनी से शहपुरा के बीच पटरियों की चोरी के मामले में जबलपुर रेल मंडल और पश्चिम मध्य रेलवे जोन के अधिकारियों की कार्यशैली पर रेलवे बोर्ड ने भी सवाल खड़े किए हैं। इतना ही नहीं चर्चा यह भी है कि अधिकारियों के इसमें शामिल होने के मामले में वरिष्ठ अधिकारियों की क्लास भी लगी।
सीपीडब्ल्यूआई को नहीं मिली जमानत
लगभग 45 टन से ज्यादा रेलवे की पटरी चोरी मामले में आरपीएफ जबलपुर ने दो रेल अधिकारियों को आरोपित बनाया। इसमें एक एसएससी तैरासीलाल और दूसरा चीफ पीडब्ल्यूआइ जेपी मीना हैं। बुधवार को इन्हें फिर कोर्ट में शामिल किया। यहां से एसएससी को जमानत पर बरी कर दिया गया तो वहीं सीपीडब्ल्यूआइ जेपी मीना को जमानत नहीं मिली। आरपीएफ ने कोर्ट से मीना की एक दिन की रिमांड और मांगी थी, जो स्वीकृत हो गई। जो जानकारी सामने आई है उसके अऩुसार आरपीएफ ने बीते मीना से मंगलवार को भी लंबी पूछताछ की थी, लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा। वहीं उसने चुप्पी साधी रही। हालांकि बुधवार को एक दिन की रिमांड मिलने के बाद आरपीएफ ने अपनी जांच फिर शुरू कर दी है। हालांकि इस दौरान पूछताछ में कई और रेल अधिकारी और कर्मचारी के शामिल होने से सबूत भी सामने आए हैं।
अधिकारियों को बचाने विजलेंस की जांच ढप्प
इस पूरे मामले में आरपीएफ की सक्रियता दिखी, लेकिन वहीं इस मामले में जांच कर रही पश्चिम मध्य रेलवे की विजलेंस ने चुप्पी साध ली है। चर्चा है कि पश्चिम मध्य रेलवे जोन के अधिकारियों ने इस जांच एजेंसी को शांत रहने कहा है। इस मामले में मंडल से लेकर जोन तक के कई अधिकारियों की संदिग्धता सामने आने के बाद विजलेंस की जांच ठंडे बस्ते में डाल दी है। अभी तक विजलेंस ने किसी भी रेल अधिकारी और कर्मचारी को इसमें दोषी नहीं बनाया है। जबकि विजलेंस की प्रारंभिक जांच में यह बात भी सामने आई थी कि भिटौनी रेलवे स्टेशन के पास जिन पुरानी पटरियों को हटाकर नई पटरियां लगाई, वो भी पुरानी ही थीं। ठेकेदार ने यहां भी गड़बड़ी करते हुए इन्हें नई की जगह पुरानी लगाकर संबंधितों को फायदा पहुंचा दिया है।
कब मिलेंगे इन सवालों के जवाब
आखिर भिटौनी से ट्रक पर लोड होने से लेकर कबाड़ी तक पटरियां पहुंचाने की खबर इंजीनियरिंग विभाग और आरपीएफ को क्या नहीं लगी।
मीडिया में मामला सामने आने के बाद ही इसे जांच में क्यों लिया गयाए इससे पहले आरपीएफए इंजीनियरिंग विभाग और विजलेंस चुप्प क्यों थी। अभी तक इंजीनियरिंग विभाग के निजी ठेकेदारी की एजेंसी मनन को क्यों नहीं ब्लैक लिस्ट किया गया। वह काम अभी भी क्यों कर रही है। लगातार विजलेंस विभाग को कार्रवाई करने से क्यों रोका जा रहा है। जोन किस वरिष्ठ अधिकारी को बचाने में जुटा है।
इससे पहले कटनी.रीठी में हुई पटरियों की चोरी से भी रेलवे से सबक नहीं लिया और न ही सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए।
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