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    कर्नाटक में बीजेपी में बगावत के बीच परिवारवाद के लगे आरोप, येदियुरप्पा-बोम्मई पर बढ़ा दबाव

  • April 21, 2023

    नई दिल्‍ली (New Delhi) । कर्नाटक विधानसभा चुनाव (karnataka assembly election) में बड़े नेताओं की बगावत से जूझ रही भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर परिवारवाद को लेकर भी सवाल उठ रहे। पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा (BS Yeddyurappa) के बेटे विजयेंद्र (Vijayendra) समेत लगभग आधा दर्जन नेताओं के परिजनों को टिकट दिया, लेकिन वरिष्ठ नेता ईश्वरप्पा के बेटे को टिकट नहीं दिया गया। कांग्रेस ने भाजपा को इस मुद्दे पर घेरा, लेकिन पार्टी इसे ज्यादा तूल नहीं दे रही।

    कर्नाटक में टिकटों को लेकर भाजपा के लगभग आधा दर्जन बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़ दी। इनमें विधायक व विधान परिषद सदस्य भी शामिल हैं। इसमें एक मुद्दा परिवारवाद का भी रहा। पार्टी ने कुछ नेताओं के परिजनों को तो टिकट दिया, लेकिन कई नेताओं को मायूसी का भी सामना करना पड़ा। बड़े नेताओं में चुनाव न लड़ने की घोषणा कर चुके पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के बेटे विजयेंद्र को उनकी ही सीट से टिकट दिया, लेकिन पूर्व मंत्री ईश्वरप्पा के बेटे के दावे को नकार दिया। हालांकि पार्टी ने विधायक आनंद सिंह के बेटे सिद्धार्थ सिंह को भी विजयनगर और पूर्व विधायक उमेश कट्टी के बेटे निखिल कट्टी को हुक्केरी सीट से टिकट दिया।


    पूर्व विधायक के बेटे अश्विनी संपांगी, पूर्व मंत्री के बेटे सोमनगौड़ा पाटिल, गुब्बी से पूर्व विधायक चिक्के गौड़ा के पोते एसडी दिलीप कुमार, मौजूदा विधायक ईश्वर खंडरे के चचेरे भाई प्रकाश खंडरे, विधायक जीटी देवेगौड़ा के दामाद रामचंद्र गौड़ा को भी उम्मीदवार बनाया गया। कोप्पल से लोकसभा सांसद कराडी संगन्ना की बहू मंजुला अमरेश, पूर्व मंत्री अरविंद लिंबावली की पत्नी मंजुला, वरिष्ठ नेता कट्टा सुब्रमण्यम नायडू के बेटे कट्टा जगदीश भी टिकट पाने में सफल रहे।

    कर्नाटक में चुनाव के पहले कई झटके लगने के बाद भाजपा अब चुनाव प्रचार अभियान में सामाजिक समीकरणों को साधने में जुट गई है। जगदीश शेट्टार व लक्ष्मण सावदी के पार्टी छोड़ने के बाद लिंगायत समुदाय का समर्थन बरकरार रखने के लिए पार्टी पूर्व मुख्यमत्री बीएस येदियुरप्पा और मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई पर काफी निर्भर है। बोम्मई को अब काफी अहमियत भी दी जा रही क्योंकि येदियुरप्पा चुनावी राजनीति से दूर हैं। ऐसे में पार्टी भले ही अभी तक बोम्मई को आगे भी मुख्यमंत्री बनाने की बात खुलकर कहने से बचती रही, लेकिन प्रचार अभियान में उनको काफी प्रमुखता से उभारा जाएगा।

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