नरोदा: गुजरात (Gujarat) के नरोदा गांव (गाम) दंगों मामले में स्पेशल कोर्ट (special court) ने फैसला सुना दिया है. SIT मामलों के विशेष जज एस (Special Judge S.) के बक्शी की कोर्ट ने आज गुरुवार 20 अप्रैल को 68 आरोपियों को बरी कर दिया है. दरअसल, 2002 में हुए इन दंगों में 11 लोगों की मौत हुई थी. इसके बाद पुलिस ने जांच के आधार पर गुजरात की पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता माया कोडनानी (Maya Kodnani) व बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी समेत 86 लोगों को आरोपी बनाया था. इन 86 आरोपियों में से 18 की पहले ही मौत हो चुकी है. मामले में 21 साल बाद फैसला आया है.
बता दें कि 2002 में गोधरा में चलती ट्रेन (moving train) में आग लगा दी गई थी. इस हादसे में 58 लोगों की मौत हो गई थी. गोधरा कांड के विरोध में अगले दिन बंद बुलाया गया था. इस दौरान अहमदाबाद के नरोदा गाम में सांप्रदायिक हिंसा फैल गई थी. इसमें 11 लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद ही पूरे गुजरात में दंगे फैल गए थे. मामले में SIT की जांच बैठी और इस मामले में एसआईटी ने माया कोडनानी को मुख्य आरोपी बनाया था. माया कोडनानी राज्य सरकार में पूर्व मंत्री रही हैं.
नरोदा गांव नरसंहार के मामले में आरोपियों पर आईपीसी की धारा 302 हत्या, 307 हत्या की कोशिश, 143 , 147 दंगे, 148, 129 B, 153 के तहत केस दर्ज किया था. इससे पहले कोडनानी को विशेष अदालत ने नरोदा पाटिया दंगों के मामले में 28 साल की सजा सुनाई थी. इन दंगों में 97 लोगों की मौत हुई थी. हालांकि, हाईकोर्ट ने बाद में कोडनानी को बरी कर दिया था.
इस मामले की सुनवाई 2009 से शुरु हुई थी. मामले में 187 लोगों से पूछताछ हो हुई, जबकि 57 चश्मदीद के बयान भी दर्ज किए गए थे. इस मामले में 13 साल से सुनवाई चल रही थी. सितंबर 2017 में अमित शाह माया कोडनानी के बचाव पक्ष के गवाह के रूप में पेश हुए थे. माया कोडनानी दंगों के वक्त गुजरात की मोदी सरकार में मंत्री थीं.
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