कंपाला (Kampala)। भारत (India) में एक बार फिर समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता (legal recognition of gay marriage) देने के विषय पर उच्चतम न्यायालय (Supreme court) में सुनवाई शुरू हो चुकी है। पिछले कई वर्षों से इस मामले पर अलग-अलग पक्ष अपना मत दे रहे हैं। बहरहाल दुनिया के कई देशों में आज समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता मिल चुकी है और कई देशों (many countries) में अभी भी इस पर प्रतिबंध (Sanctions) हैं।
इन देशों में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता
दुनिया के 34 देशों में समलैंगिक विवाह को मान्यता दी गई है। इनमें क्यूबा, एंडोरा, स्लोवेनिया, चिली, स्विट्जरलैंड, कोस्टा रिका, ऑस्ट्रिया, ऑस्ट्रेलिया, ताइवान, इक्वेडोर, बेल्जियम, ब्रिटेन, डेनमार्क, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, आइसलैंड, आयरलैंड, लक्समबर्ग, माल्टा, नॉर्वे, पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडन, मेक्सिको, दक्षिण अफ्रीका, संयुक्त राज्य अमेरिका, कोलंबिया, ब्राजील, अर्जेंटीना, कनाडा, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, उरुग्वे का नाम शामिल है।
इन 34 में से 23 देशों ने समलैंगिक विवाह को कानून बनाकर इसे वैध करार दिया है, जबकि 10 देशों ने अदालत के आदेश से इसे वैध माना है। दक्षिण अफ्रीका और ताइवान ने इसे अदालत के आदेश से वैध करार दिया है। साल 2001 में नीदरलैंड समलैंगिक विवाह को वैध बनाने वाला पहला देश था, जबकि ताइवान ऐसा करने वाला पहला एशियाई देश बन चुका है।
मलेशिया जैसे कुछ देशों में समलैंगिकता अवैध
मलेशिया (malaysia) जैसे कुछ देशों में समलैंगिकता अवैध हैं। पिछले साल सिंगापुर ने गे सेक्स पर लगे प्रतिबंध को खत्म कर दिया था, लेकिन समलैंगिक शादियों पर रोक लगाने के लिए कदम उठाए थे।
जापान समलैंगिक संघों को मान्यता नहीं देता
जापान (Japan) सात अमीर राष्ट्रों के समूह में एकमात्र देश है जो कानूनी तौर पर समलैंगिक संघों को मान्यता नहीं देता है, हालांकि जनता मोटे तौर पर मान्यता का समर्थन करती है।
2018 से पहले भारत में समलैंगिक संबंध था अपराध
भारत में आइपीसी की धारा-377 के तहत वर्ष 2018 से पहले समेलैंगिक संबंध के बीच शारीरिक संबंध को अपराध माना जाता था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने सितंबर 2018 को इस कानून प्रावधान को खत्म कर दिया। अब कोई भी भारत में समलैंगिक संबंधों के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज नहीं करा सकता है। लेकिन समलैंगिक शादी को लीगल बनाने के लिए एलजीबीटीक्यू समुदाय आज भी कोशिश में जुटा हुआ है।’
कितने देशों में समलैंगिकता अवैध है?
कम से कम पांच अन्य देशों – पाकिस्तान, अफगानिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात, कतर और मॉरिटानिया में शरिया अदालतों के तहत समलैंगिक संबंधों पर मौत की सजा तक दी जा सकती है। ईरान, सोमालिया और उत्तरी नाइजीरिया के कुछ हिस्सों में भी यही बात लागू होती है। वहीं 71 देशों में समान-लिंग संबंध अप्राकृतिक संबंध कानूनों के तहत विभिन्न प्रकार के अपराध की श्रेणी में आते हैं। इन सभी में देशों में समलैंगिक संबंधों पर जेल की सजा हो सकती है।
युगांडा में फांसी की सजा का प्रावधान
अफ्रीकी देश युगांडा (African country Uganda) की संसद ने एलजीबीटीक्यू समुदाय के खिलाफ बेहद सख्त कदम उइाते हुए समलैंगिकता के गंभीर अपराधों में मौत की सजा का प्रावधान किया है। कानून में तथाकथित गंभीर समलैंगिकता के लिए मृत्युदंड और समलैंगिक यौन संबंध रखने के लिए आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है।
कानून में गंभीर समलैंगिकता का अर्थ, 18 वर्ष से कम उम्र के लोगों के साथ समलैंगिक यौन संबंध बनाना या जब अपराधी एचआईवी पॉजिटिव है, तब समलैंगिक सेक्स को गंभीर माना जाएगा। गौरतलब है कि युगांडा सहित 30 अफ्रीकी देशों ने पहले ही समलैंगिक संबंधों पर प्रतिबंध लगा चुके हैं।
मामला सुप्रीम कोर्ट कैसे पहुंचा?
25 नवंबर, 2022: दो समलैंगिक जोड़ों ने विशेष विवाह अधिनियम के तहत समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जिसके बाद अदालत ने याचिका पर नोटिस जारी किया।
14 दिसंबर, 2022: सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक जोड़े द्वारा दायर एक अन्य याचिका पर नोटिस जारी किया।
6 जनवरी, 2023: सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न उच्च न्यायालयों के समक्ष लंबित समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता देने की मांग वाली सभी याचिकाओं को शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मुद्दे पर दिल्ली, केरल और गुजरात सहित विभिन्न उच्च न्यायालयों के समक्ष लंबित सभी याचिकाओं को स्थानांतरित कर दिया।
30 जनवरी, 10 फरवरी, 20 फरवरी और 3 मार्च, 2023: सुप्रीम कोर्ट ने इसी तरह की मांग करने वाली और याचिकाओं पर नोटिस जारी किया और उन्हें मुख्य मामले से क्लब कर दिया।
12 मार्च, 2023: केंद्र ने समलैंगिक विवाह का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक हलफनामा दायर किया।
13 मार्च: सुप्रीम कोर्ट ने मामले को संविधान पीठ के पास भेज दिया।
1 अप्रैल, 2023: जमीयत उलमा-ए-हिंद ने समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता देने वाली याचिकाओं का विरोध किया।
6 अप्रैल 2023: दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) ने एक हस्तक्षेप आवेदन दायर किया, जिसमें समलैंगिक विवाह और समान-लिंग वाले जोड़ों को गोद लेने के अधिकार का समर्थन किया गया।
15 अप्रैल, 2023: सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने के लिए पांच जजों की बेंच के गठन को अधिसूचित किया।
17 अप्रैल, 2023: केंद्र ने एक नया आवेदन दायर किया और याचिकाओं की संविधान पीठ द्वारा सुनवाई पर सवाल उठाए।
17 अप्रैल, 2023: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने कई पहलुओं पर आपत्ति जताई।
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