नई दिल्लीः भारत अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर बढ़ती चुनौतियों के बीच अपनी स्थिति मजबूत करने में लगा हुआ है. अब वह अपनी पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर को तैयार करने को लेकर अपने कदम आगे बढ़ाने जा रहा है और उसने लंबे समय से रूके अपने प्रोजेक्ट पर तेजी से काम शुरू कर दिया है. भारत फरवरी में बेंगलुरू में आयोजित एयरो-इंडिया शो में अमेरिका की ओर से दिखाए गए F-35A जेट को लेकर अपनी उत्सुकता दिखा सकता है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि दो इंजन वाले स्वदेशी एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्रॉफ्ट (AMCA) जिसकी अनुमानित लागत 15 हजार करोड़ रुपये है, को सरकार की मंजूरी के लिए पीएम नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्योरिटी (Cabinet Committee on Security (CCS) के पास जल्द ही भेजा जाएगा.
लागत और डिजाइन पर काम पूरा
सूत्रों ने इस मामले में बताया, “जेट को लेकर आने वाली लागत, डिजाइन और स्वदेशी सामग्री के स्तर पर व्यापक अंतर-मंत्रालयी परामर्श (Inter-Ministerial Consultations) का काम करीब-करीब पूरा हो चुका है. एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्रॉफ्ट के लिए डीआरडीओ मामले को सीसीएस की ओर से अंतिम रूप दिया जा रहा है.”
AMCA को लेकर तय की गई समयसीमा के अनुसार, कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्योरिटी की ओर से अप्रूवल मिलने 4 साल के बाद पहला AMCA प्रोटोटाइप रोल आउट होगा, इसके बाद अगले 6 साल में इसका उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा. असल में भारतीय वायुसेना 2035 के आसपास तक अपने बेडे में शामिल करेगी.
4.5 जेनरेशन के भारत के पास तेजस मार्क-2
फिलहाल आज के समय में 5th जेनरेशन के जेट में सिर्फ अमेरिकी F/A-22 रैप्टर और F-35 लाइटनिंग-II ज्वाइंट स्ट्राइक फाइटर्स के साथ-साथ रूसी सुखोई-57 और चीनी Chengdu J-20 ही हैं. सूत्रों ने बताया, “अमेरिका ने एयर शो के लिए दो F-35s जेट को रणनीतिक तौर पर प्रदर्शन के लिए भेजा था. हम AMCA प्रोग्राम के जरिए अपना 5th जेनरेशन जेट तैयार करने की कोशिश में हैं.”
कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) ने पिछले साल अगस्त में तेजस मार्क-2 लड़ाकू विमान को तैयार करने को लेकर अपनी मंजूरी दी थी जिसकी अनुमानित लागत 9,000 करोड़ रुपये से अधिक है. तेजस मार्क-2 4.5 जेनरेशन का लड़ाकू विमान है. जबकि AMCA निश्चित तौर पर 5th जेनरेशन का लड़ाकू विमान होगा.
भारतीय वायुसेना फिलहाल सात AMCA स्क्वाड्रन (126 जेट) की योजना बना रही है. वायुसेना के पास अभी 31 फाइटर स्क्वाड्रन ही हैं, जबकि चीन और पाकिस्तान जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए कम से कम 42 लड़ाकू विमान चाहिए होगी.
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