नई दिल्ली: 2002 के गुजरात दंगों में तत्कालीन मुख्यमंत्री और वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका पर हाल ही में बीबीसी ने डॉक्यूमेंट्री बनाई, जिस पर भारत में काफी बवाल हुआ. भारत में इस डॉक्यूमेंट्री (इंडिया: द मोदी क्वेश्चन) पर रोक भी लगा दी गई थी. अब इस पर ट्विटर के सीईओ एलन मस्क ने बड़ा बयान दिया है.
मस्क ने कहा है कि भारत में सोशल मीडिया से जुड़े नियम ‘बेहद सख्त’ हैं. ट्विटर ने बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री से संबंधित कंटेंट हटा दिया था, इस पर उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता कि वास्तव में क्या हुआ. एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि मुझे उस विशेष स्थिति की जानकारी नहीं है. पता नहीं वास्तव में भारत में कुछ कंटेंट के साथ क्या हुआ. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया कंटेंट के खिलाफ नियम काफी सख्त हैं और हम देश के कानूनों से अलग नहीं हो सकते.
मस्क ने इस इंटरव्यू में ट्विटर के अधिग्रहण पर भी बात की और कहा कि कंपनी मोटे तौर पर ब्रेक इवन प्वॉइंट पर है. उन्होंने रेवेन्यू में गिरावट के लिए विज्ञापन खर्च की साइक्लिकल नेचर को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने इस बात पर भी सहमति जताई कि अधिग्रहण के बाद गलतियां हुईं. हालांकि, उन्हें अब लगता है कि कंपनी अच्छी स्थिति की ओर बढ़ रही है.
उन्होंने बताया कि कंपनी में अभी लगभग 1500 कर्मचारी हैं. जब कंपनी को उन्होंने नहीं खरीदा था, तब 7000 से ज्यादा कर्मचारी थे. उनके आने के बाद बड़े पैमाने पर छंटनी हुई. छंटनी को सही ठहराते हुए मस्क ने कहा कि 3 बिलियन डॉलर की नेगेटिव कैश फ्लो की स्थिति थी. ट्विटर के पास काम चलाने के लिए सिर्फ 4 महीने थे. ऐसे में आप क्या करेंगे?
बीबीसी से बात करते हुए मस्क ने कहा कि ट्विटर चलाना काफी दर्दनाक है. ये इंटरव्यू तब हुआ है जब बीबीबी के ट्विटर हैंडल पर उसे गवर्नमेंट फंडेड मीडिया लेबल दिया गया. बीबीसी ने इस पर आपत्ति जताई. इस पर जवाब देते हुए मस्क ने कहा कि ट्विटर इस टैग को ‘पब्लिकली फंडेड’ टैग में बदल देगा. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि हम लेबल को ‘पब्लिकली फंडेड’ करने के लिए एडजस्ट कर रहे हैं. मुझे लगता है कि ये बहुत आपत्तिजनक नहीं है.
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