इंदौर, वीरेंद्रसिंह सिसोदिया। सरकारी अस्पतालों (government hospitals) के क्या हालात हैं, यह कल इंदौर के नंदानगर (Nandanagar of Indore) वाले दंपति की तकलीफ को देखते हुए पता चलता है। सोनोग्राफी (sonography) के दौरान डॉक्टरों ने एक गर्भवती को कहा कि उसका बच्चा पेट में मर चुका है। गर्भवती और उसका पति मृत बच्चे को बाहर निक लवाने के लिए 13 घंटे तक अस्पताल में एक डॉक्टर से दूसरे डॉक्टर के पास दौड़ते रहे…वे मिन्नते करते रहे कि जल्दी बच्चा निकाल दो, नहीं तो गर्भवती की जान को खतरा है, लेकिन किसी ने सुनवाई नहीं की। आखिर में गर्भवती के पति ने कलेक्टर को फोन लगाया, तब जाकर डॉक्टर जागे और बच्चे को ऑपरेशन कर बाहर निकाला। मृत बच्चे का एमवाय अस्पताल में पोस्टमार्टम हो रहा है। बच्चे की मौत पर आरोप भी अस्पताल के लापरवाह डॉक्टरों और स्टाफ पर लगाया जा रहा है।
दरअसल, नंदानगर में रहने वाला गंगाराम शर्मा पत्नी प्रियंका शर्मा को गर्भवती होने के चलते बीती 25 मार्च और 27 मार्च को इलाज के लिए इलाज के लिए पीसी सेठी अस्पताल लेकर गया। वहां डॉक्टरों ने जांच के बाद सोनोग्राफी के लिए भेजा। अस्पताल में स्थित सोनोग्राफी सेंटर वालों ने समय नहीं होने का हवाला देते हुए कहा कि 11 अप्रैल को लेकर आना। इसके बाद वह कल उसे अस्पताल लेकर पहुंचा तो सोनोग्राफी में पता चला कि बच्चा पेट में मर चुका है। कल सुबह 11 बजे सोनोग्राफी रिपोर्ट के बाद गंगाराम और उसकी पत्नी पीसी सेठी अस्पताल में डॉक्टरों के इर्द-गिर्द घूमते रहे और मिन्नतें करते रहे कि बच्चे को बाहर निकाल दें, नहीं तो गर्भवती की जान को खतरा हो सकता है।
शाम तक किसी भी डॉक्टर ने सुध नहीं ली। गंगाराम ने मीडिया से संपर्क किया और कलेक्टर टी इलैया राजा को फोन लगाकर पूरी घटना बताई। कलेक्टर ने तत्काल पीसी सेठी अस्पताल के डॉक्टरों से संपर्क किया और गर्भवती के पेट से बच्चा निकालने के आदेश दिए। तब जाकर गर्भवती के पेट से बच्चा निकाला गया, जिसका आज एमवाय अस्पताल में पोस्टमार्टम होगा। कलेक्टर ने एक महिला अधिकारी को भी मौके पर पहुंचाया और पूरे इलाज के दौरान बरती गई लापरवाही का पता लगाया। गंगाराम ने मामले की शिकायत सीएम हेल्पलाइन में भी की। गंगाराम ऑनलाइन फूड डिलीवरी का काम करता है।
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