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    लोकसभा चुनाव से पहले इन 6 पार्टियों को लगा बड़ा झटका, राष्ट्रीय दलों की सूची से हुए बाहर

  • April 11, 2023

    नई दिल्‍ली (New Delhi) । लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में एक साल का वक्त ही बचा है और उससे ठीक पहले निर्वाचन आयोग (Election Commission) ने राष्ट्रीय दलों की नई सूची (new list of national parties) जारी कर दी है। इस लिस्ट में 6 दलों को ही शामिल किया गया है, जबकि पहले से इसमें रही एनसीपी, टीएमसी और सीपीआई (NCP, TMC and CPI) जैसी पार्टियों को बाहर का रास्ता दिखाया गया है। पहले देश में कुल राष्ट्रीय पार्टियां थीं, जिनकी संख्या अब 6 ही रह गई है। वामपंथी दल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को लगातार खराब प्रदर्शन के चलते अपना दर्जा खोना पड़ा है। इसके अलावा एनसीपी भी महाराष्ट्र से बाहर कमजोर प्रदर्शन की कीमत चुका रही है।


    सबसे बड़ा नुकसान ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी को हुआ है, जो त्रिपुरा और गोवा जैसे राज्यों में चुनाव लड़ने के बाद भी राष्ट्रीय दर्जा नहीं बचा पाई है। अहम बात यह है कि ममता बनर्जी कई विपक्षी नेताओं से मुलाकात करके राष्ट्रीय स्तर पर अपनी दावेदारी जताती रही हैं। लेकिन 2024 से ठीक पहले राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा छिन जाने से टीएमसी को बड़ा नुकसान पहुंचा है और अब उसकी दावेदारी कमजोर रहेगी। नई लिस्ट के मुताबिक देश में अब 6 ही राष्ट्रीय पार्टियां हैं, जिनमें भाजपा, कांग्रेस, सीपीएम, आम आदमी पार्टी, बसपा और एनपीपी शामिल हैं।

    बीते सप्ताह ही कर्नाटक हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग को आदेश दिया था कि वह आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय दल के दर्जे को लेकर फैसला ले। राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलने के बाद किसी दल को हर राज्य में एक ही सिंबल पर चुनाव लड़ने की सुविधा मिलती है। इसके अलावा सरकारी प्रसारकों की ओर से फ्री कैंपेन स्लॉट भी दिए जाते हैं। पूर्वोत्तर राज्यों में खराब प्रदर्शन के चलते एनसीपी को राष्ट्रीय दल का दर्जा खोना पड़ा है। इसके अलावा टीएमसी का भी प्रदर्शन कमजोर रहा है। वहीं गोवा, गुजरात, पंजाब और दिल्ली में अच्छे प्रदर्शन के सहारे आम आदमी पार्टी यह दर्जा पाने में सफल रही है।

    ममता और पवार की महत्वाकांक्षा का क्या होगा?
    शरद पवार हों या फिर ममता बनर्जी, दोनों ही नेताओं की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा कभी छिपी नहीं रही। दोनों ही नेता कांग्रेस को कई बार सलाह दे चुके हैं कि वह किसी और के नेतृत्व को भी स्वीकार करने पर विचार करे। लेकिन अब अपना ही राष्ट्रीय दर्जा खोने के बाद दोनों के आगे मुश्किल खड़ी हो गई है।

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