चंडीगढ़: ‘वारिस पंजाब दे’ के प्रमुख और भगोड़े खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल के 8 साथियों को असम की डिब्रूगढ़ जेल में रखने के बाद हाल ही में एक नई खुफिया सूचना से सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गईं हैं. भारत में प्रतिबंधित खालिस्तान समर्थक समूह ‘सिख फॉर जस्टिस’ (SFJ) ने 4 अप्रैल को यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम-इंडिपेंडेंट (उल्फा-आई) को समर्थन की पेशकश की है. उल्फा-आई 1979 से एक संप्रभु असम की स्थापना के लिए एक हथियारबंद आंतकी मूवमेंट का नेतृत्व कर रहा है.
एसएफजे के नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू ने उल्फा-आई के नेता परेश बरुआ को लिखे एक खुले पत्र में ‘असम की आजादी के जनमत संग्रह’ के लिए कानूनी सहायता और जरूरी समर्थन देने की इच्छा जताई थी. एसएफजे को लिखे पत्र में पन्नू ने यह भी कहा है कि ‘डिब्रूगढ़ जेल में खालिस्तान समर्थक कैदियों की यातना दुर्भाग्यपूर्ण है.’ जाहिर है कि एसएफजे अपनी तरह के भारत विरोधी संगठनों को एक मंच पर लामबंद करना चाहता है. वो भारत के टुकड़े करने का मंसूबा पाले हुए है, जो कभी पूरा नहीं हो सकता.
एसएफजे के मंसूबे इतने घातक हैं कि इसने ऐतिहासिक करतारपुर कॉरिडोर को ‘खालिस्तान का पुल’ का नाम दिया है. सिख फॉर जस्टिस (SFJ) का घटना 2007 में अमेरिका में एक स्व-घोषित मानवाधिकार वकालत समूह के तौर पर हुआ. जो सिखों के लिए एक अलग देश ‘खालिस्तान’ बनाने की मांग करता है. एसएफजे का प्रधान कार्यालय अमेरिका में है. इसके कार्यालय ब्रिटेन, कनाडा और पाकिस्तान में भी इसके ऑफिस हैं.
गुरपतवंत सिंह पन्नू, पंजाब विश्वविद्यालय (भारत) से लॉ ग्रेजुएट है. वह इस समय अमेरिका में एसएफजे का कानूनी सलाहकार है. समूह ने अपना ऑनलाइन अभियान ‘रेफरेंडम 2020’ शुरू किया था. सिखों के बीच उत्तरी अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, मलेशिया, सिंगापुर, केन्या, मध्य पूर्व और पंजाब के प्रमुख शहरों में सिख देश बनाने के लिए नवंबर 2020 में आयोजित होने वाले ‘गैर-बाध्यकारी’ जनमत संग्रह की आवाज देने के बाद यह सुर्खियों में आया.
भारत ने 2019 में लगा दिया था एसएफजे पर प्रतिबंध
भारत सरकार ने 10 जुलाई, 2019 को एसएफजे को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के प्रावधान 3 (1) के तहत एक गैरकानूनी संगठन घोषित किया. गृह मंत्रालय (MHA) ने अपनी अधिसूचना में कहा कि एसएफजे पंजाब में राष्ट्र-विरोधी और विध्वंसक गतिविधियों में शामिल है. एसएफजे पंजाब और अन्य जगहों पर खालिस्तान बनाने के लिए हिंसक कामों का समर्थन करने वाले उग्रवादी संगठनों और कार्यकर्ताओं के निकट संपर्क में था. एसएफजे अलगाव के लिए गतिविधियों को बढ़ावा और मदद दे रहा था.
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