कलकत्ता (Calcutta)। पहले, हम आपको बताना चाहेंगे की एक अच्छे मित्र (good friends) के रूप में आप चीजों को बेहतर बनाने के लिए एक अतिरिक्त प्रयास करे और उनका सामंजस्य बैठने की कोशिश करे। तलाक सबसे अंतिम विकल्प है जब सुलह के सरे विकल्प समाप्त हो चुके हो। ये मानते हुए की आपके दोनों मित्र हिंदू हैं, हिन्दू विवाह (hindu marriage) अधिनियम की धारा 13 ख के तहत वे लोग आपसी सहमति से तलाक के लिए याचिका दायर कर सकते है।
लेकिन अगर दूसरी ओर पत्नी अपने पति को कायर कहती है या उसे निकम्मा या बेरोजगार कहती है तो यह दोनों के बीच तलाक का मजबूत आधार हो सकता है। हाल ही में कलकत्ता हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में यह व्यवस्था दी है। कोर्ट ने ये भी कहा कि अगर कोई महिला अपने पति पर उसके माता-पिता से अलग रहने का दबाव बनाती है या इसके लिए उसे मजबूर करती है, तो वह भी तलाक का आधार होगा।
बता दें कि बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस सौमेन सेन और जस्टिस उदय कुमार की बेंच ने कहा कि भारतीय परिवार में बेटे का शादी के बाद भी अपने माता-पिता के साथ रहना आम बात है और अगर उसकी पत्नी उसे उसके माता-पिता से अलग करने का कोई प्रयास करती है,तो उसके लिए कोई न्यायोचित कारण होना चाहिए।
खंडपीठ पश्चिम मिदनापुर में परिवार अदालत के 25 मई, 2009 के उस आदेश को चुनौती देने वाली एक पत्नी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें पति को क्रूरता के आधार पर तलाक देने का आदेश दिया गया था। फैमिली कोर्ट ने 2 जुलाई, 2001 को जोड़े के विवाह को भंग कर दिया था।
खंडपीठ ने कहा कि मामले में पत्नी के लिए पति को अलग होने के लिए कहने का कोई ‘उचित कारण’ नहीं था, सिवाए घरेलू मुद्दों पर अहंकार के टकराव और वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति से संबंधित समस्याओं के उदाहरणों के अलावा। मामले में पति पत्नी की प्रताड़ना और उलाहना से तंग आकर अपने शांतिपूर्ण वैवाहिक जीवन की खातिर अपने माता-पिता को छोड़कर उनके घर से किराए के घर में चला गया था।
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