कुछ को नहीं मिल पाता टिकट, कुछ हार जाते हैं चुनाव
भोपाल, रामेश्वर धाकड़। मप्र (MP) की पंद्रहवीं विधानसभा (Assembly) के मौजूदा 230 सदस्यों में से करीब 100 विधायक सोलहवीं विधानसभा में नहीं पहुंचेंगे। 1998 से लेकर 2018 तक के विधानसभा चुनाव (Assembly Election) का विश्लेषण करें तो औसतन 40 फीसदी विधायक (MLA) प्रथम बार चुनकर आते हैं। इसकी वजह यह है कि कुछ विधायकों को टिकट नहीं मिलेंगे और कुछ चुनाव हार जाएंगे।
2003 के चुनाव में भाजपा (BJP) 173 रिकॉर्ड सीटें जीती। तब 105 नए विधायक चुनकर आए थे, जिनमें से 90 से ज्यादा नए विधायक भाजपा के ही थे, जबकि समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी के भी 9 में से 7 विधायक प्रथम बार विधानसभा पहुंचे थे। इसी तरह तरह 2008 के चुनाव में भाजपा को 143 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस 38 से बढक़र 71 सीटों पर आई। इस चुनाव में 108 नए चेहरे चुनकर आए, जिनमें भाजपा के 70 और कांग्रेस के 24 थे। 2013 के चुनाव में भाजपा ने 165 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि कांग्रेस 71 सीटों से घटकर 58 सीटों पर सिमट गई। 102 विधायकों ने पहली बार विधानसभा में कदम रखा। इनमें से कांग्रेस के 38 और भाजपा के 58 विधायक थे, जबकि बसपा के 4 और 2 निर्दलीय विधायक पहली बार चुनकर आए थे। 2018 में कांगे्रस के 114 विधायक, भाजपा के 109 विधायक जीतकर आए थे। इनमें 90 विधायक पहली बार विधानसभा आए। इनमें भाजपा के सिर्फ 29, जबकि कांग्रेस के 55 विधायक थे। शेष 5 नए विधायक अन्य दलों के थे।
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