नई दिल्ली (New Delhi)। संसद के बजट सत्र (Parliament budget session) में बनी विपक्षी एकता (Opposition unity) भविष्य में भी बरकरार रहेगी। संसद सत्र के आखिरी दिन कई विपक्षी दलों (opposition parties) ने एकजुटता दिखाते हुए आगे भी मिलकर काम करने का संकल्प (Showing solidarity) लिया। हालांकि, भारत राष्ट्र समिति (Bharat Rashtra Samiti) ने साफ कर दिया कि विचारधारों का यह मिलन कार्यक्रम पर आधारित होगा। पर सभी दल विपक्षी एकजुटता को लेकर सहमत हैं।
बजट सत्र के लिए लोकसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने के बाद विपक्षी दलों के सांसदों ने संसद भवन से विजय चौक तक तिरंगा मार्च निकाला। संसद भवन में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी भी कुछ दूर के लिए मार्च में शामिल हुईं। इसके बाद विपक्षी दल कांस्टीट्यूशन क्लब पहुंचकर साझा मंच से मीडिया से मुखातिब हुए।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली सरकार लोकतंत्र के बारे में बातें तो बहुत करती है, पर जो कहती है, वह करती नहीं है। 50 लाख करोड़ रुपए का बजट सिर्फ 12 मिनट में बिना चर्चा के पास कर दिया गया। उन्होंने दावा किया कि ऐसा पहली बार हुआ है, जब सत्तापक्ष के हंगामे की वजह से व्यवधान हुआ।
यह सवाल किए जाने पर क्या सत्र के दौरान दिखी विपक्षी एकता जमीन पर भी दिखाई देगी, इसके जवाब में खड़गे ने कहा कि हम सभी जमीन पर ही हैं। एकता लाने की पूरी कोशिश की गई है। देश की एकता और अखंडता, लोकतंत्र एवं संविधान के लिए हम सभी प्रतिबद्ध है। हम एकता के साथ काम करते रहेंगे और एकजुट होकर आगे के चुनाव लड़ते रहेंगे।
विपक्षी एकता और राहुल गांधी के नेतृत्व के मुद्दे पर बीआरएस के वरिष्ठ नेता के केशव राव ने कहा कि नेतृत्व कोई व्यक्ति ही करेगा, विचारधाराओं का मिलन कार्यक्रम पर आधारित होगा। उन्होंने कहा कि सभी दल आगे विपक्षी एकजुटता को लेकर सहमत हैं, लेकिन इसका क्या स्वरूप होगा, यह भविष्य की बात है। डीएमके नेता टीआर बालू ने कहा कि विपक्षी दल एकजुट होकर काम करेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार राहुल गांधी से डरी हुई है।
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय सिंह ने भी सरकार पर निशाना साधने में कोई कसर नहीं छोड़ी। राहुल गांधी की सदस्यता का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसके पीछे की मंशा साफ है। राहुल गांधी ने मालिक के खिलाफ बोला था।
दाल में कुछ काला
अडानी मामले में संयुक्त संसदीय समिति की मांग को दोहराते हुए खड़गे ने कहा कि भाजपा के पास बहुमत है। जेपीसी बनती है तो उसमें सत्तापक्ष के ज्यादा सदस्य होते। ऐसे में यह बात समझ से परे है कि सरकार क्यों डर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार को डर है कि जेपीसी को सभी कागज जांच के लिए मिल जाते, दाल में कुछ काला है, इसलिए सरकार देश की संपत्ति की लूट की जांच के लिए जेपीसी का गठन नहीं कर रही है।
सदन में नहीं आते पीएम
विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर संसद सत्र के दौरान सदन में उपस्थित नहीं रहने का भी आरोप लगाया है। खड़गे ने कहा कि प्रधानमंत्री सदन में नहीं आते हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को पेट भाषण से नहीं भरता, इसके लिए राशन की जरूरत होती है। सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए।
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