नई दिल्ली (New Delhi) । संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में सोमवार को ईरान (Iran) के खिलाफ पेश किए गए एक प्रस्ताव पर भारत (India) ने वोटिंग से किनारा कर लिया. UNHRC में पेश किए गए इस प्रस्ताव में ईरान में आम लोगों के खिलाफ मानवाधिकार हनन के मामले (human rights abuse cases) को लेकर सरकार की निंदा की गई है.
इस प्रस्ताव के पक्ष में 23 और विपक्ष में 8 देशों ने वोट दिया. जबकि भारत समेत 16 देशों ने इस पर वोटिंग से दूरी बना ली. वोटिंग नहीं देने वाले देशो में भारत, कैमरुन, अल्जीरिया, कोट डिवोर, गैबॉन, जॉम्बिया, जॉर्जिया, मलेशिया, नेपाल, कतर, सेनेगल, दक्षिण अफ्रीका, सूडान, यूएई और उज्बेकिस्तान शामिल है.
इस प्रस्ताव के विरोध में वोट करने वाले देशों में बांग्लादेश, बोलिविया, चीन, क्यूबा, इरीट्रिया, कजाकिस्तान, पाकिस्तान और वियतनाम शामिल हैं.
ऐसा पहली बार नहीं है जब भारत ने ईरान के खिलाफ वोट देने से इनकार कर दिया हो. इससे पहले दिसंबर 2022 में भी भारत ने ईरान के खिलाफ यूएन में अमेरिकी प्रस्ताव पर वोट नहीं दिया था.
पहले भी ईरान के खिलाफ वोटिंग से परहेज
दिसंबर 2022 में जब अमेरिका ने महिला अधिकारों के खिलाफ नीतियों के लिए ईरान को यूएन के महिला अधिकार कमिशन से हटाए जाने का प्रस्ताव लाया था. उस वक्त भी भारत ने वोटिंग प्रक्रिया से खुद को अलग कर लिया था. अमेरिका यह प्रस्ताव ईरान में हिजाब विरोधी प्रदर्शन को लेकर सरकार की दमनकारी कार्रवाई के खिलाफ लाया था.
भारत ईरान के खिलाफ क्यों नहीं करता है वोट
ईरान के खिलाफ लाए गए किसी भी प्रस्ताव में वोटिंग नहीं करने का एक प्रमुख कारण ईरान की भौगोलिक स्थिति है. ईरान के पड़ोसी देशों के साथ भारत का रणनीतिक महत्व इसका एक अहम कारण है.
ईरान फारस की खाड़ी और कैस्पियन सागर के बीच स्थित है. ईरान भारत के लिए दो प्रमुख व्यापार मार्ग की तरह काम करता है. अफगानिस्तान और अन्य मध्य एशियाई देश जैसे उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान जाने के लिए भारत को ईरान से होकर गुजरना होता है.
व्यापार के दृष्टि से भारत के लिए महत्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह भी ईरान के क्षेत्र में आता है. चाबहार बंदरगाह को मध्य एशिया क्षेत्र के लिए भारत के व्यापार की कुंजी कहा जाता है. चाबहार को पाकिस्तान स्थित ग्वादर पोर्ट के काउंटर के रूप में भी देखा जाता है.
ऐसे में अगर ईरान के साथ संबंधों में खटास आती है, तो भारत को मध्य एशियाई देशों के साथ व्यापार करने के लिए पाकिस्तान पर निर्भर होना पड़ेगा. जो भारत को मंजूर नहीं है.
इसके अलावा भारत इस तरह की वोटिंग से दूर रह अपनी विदेश नीति को स्वतंत्र बनाए रखना चाहता है. भारत चाहता है कि उसकी विदेश नीति ग्लोबल पावर के प्रभाव से मुक्त हो. इसी मकसद से भारत ने रूस के खिलाफ भी लाए गए कई प्रस्तावों पर वोटिंग से दूरी बनाई है. ईरान के मामले में भी भारत यही चाहता है.
रूस के खिलाफ भी वोट देने से इनकार
UNHRC के इस सत्र में रूस के खिलाफ भी प्रस्ताव लाया गया. इस प्रस्ताव में यूक्रेन में पैदा हुए मानवाधिकार संकट के लिए रूस को जिम्मेदार ठहराया गया है. इस प्रस्ताव पर भी भारत ने वोटिंग देने से खुद को अलग कर लिया. इस प्रस्ताव के पक्ष में 28 देशों ने वोटिंग की. जबकि भारत समेत 17 देशों ने इससे दूरी बना ली. दो देशों ने इस प्रस्ताव के खिलाफ में वोट डाला. चीन ने इस प्रस्ताव के विपक्ष में वोट डाला.
LIST OF SHAME — Countries who just voted NO to UNHRC's condemnation of #Iran regime human rights abuses:
🇧🇩 Bangladesh
🇧🇴 Bolivia
🇨🇳 China
🇨🇺 Cuba
🇪🇷 Eritrea
🇰🇿 Kazakhstan
🇵🇰 Pakistan
🇻🇳 VietnamAbstained:
🇩🇿 Algeria
🇲🇾 Malaysia
🇶🇦 Qatar
🇿🇦 South Africa
🇸🇩 Sudan
& more… pic.twitter.com/2WYbbCRKXD— UN Watch (@UNWatch) April 4, 2023
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved