नई दिल्ली (New Delhi) । 2024 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) को लेकर सभी राजनीतिक दलों (Political parties) ने अपनी-अपनी तैयारी शुरू कर दी है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) को लगातार तीसरी बार सत्ता में आने से रोकने के लिए विपक्षी एकता (opposition unity) की भी चर्चा हो रही है। इस सबके बीच पूर्व कांग्रेस दिग्गज गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने ऐसी किसी भी संभावनाओं को सिरे सा खारिज कर दिया है। उन्होंने कांग्रस पर तंज भी कसा है। इसके अलावा राहुल गांधी की अदालत में पेशी के लिए मुख्यमंत्रियों सहित कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को सूरत जाने पर भी कटाक्ष किया है।
अपनी आत्मकथा ‘आजाद’ के विमोचन से पहले गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कांग्रेस पार्टी में कुछ भी नहीं बदला है। साथ ही यह भी कहा कि कांग्रेस को सिर्फी उन्हीं राज्यों में जीत की उम्मीद है, जहां उनके पास मजबूत लोकल लीडर है। उनका सीधा हमला देश की सबसे पुरानी पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व पर था। यानी गांधी परिवार पर था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व यह दावा नहीं कर सकता कि उनकी वजह से पार्टी किसी राज्य में जीत रही है या हार रही है।
कांग्रेस पर खूब भड़के आजाद
गुलमा नबी आजाद अपनी पुरानी पार्टी पर खूब भड़के। उन्होंने कहा, ”केंद्रीय नेतृत्व का किसी भी सीट पर कोई प्रभाव नहीं है। वे किसी को ना तो जिता सकते हैं और ना ही हरा सकते हैं। कांग्रेस नेताओं की हार या जीत उस प्रदेश में मौजूद नेतृत्व पर निर्भर करता है।”
विपक्षी एकता से जुड़े सवाल पर गुलाम नबी आजाद ने कहा, ”मुझे नहीं लगता है कि किसी की भी कोई राष्ट्रीय स्तर की महत्वाकांक्षा है। हो सकता है कि कभी किसी नेता की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा रही होगी। अब हर कोई सिर्फ इतना सोचता है कि उतना ही खाओ कि जितना पचा सको। भारत जैसे विशाल देश में एक राष्ट्रीय पार्टी बनना और साथ आकर भी देश के कोने-कोने में पहुंच बनाना बहुत मुश्किल है।” उन्होंने आगे कहा, ‘विपक्षी एकता नहीं होने वाला। एक राजनीतिक कार्यकर्ता के तौर पर मेरा यही नजरिया है।’
छोटे दल अपने राज्यों में ही खुश: आजाद
गुलाम नबी आजाद ने यह भी कहा, “मैं चाहता हूं कि विपक्ष एकजुट हो, लेकिन बीते 40-50 वर्षों में मैंने विपक्ष के लगभग हर राजनीतिक दल और उसके नेताओं को जानता हूं। उनके साथ मैंने सबसे अधिक बार गठबंधन को लेकर चर्चा की है। मैं कह सकता हूं कि हर राजनीतिक दल अपने-अपने राज्यों में खुश है। प्रत्येक क्षेत्रीय दल को लगता है कि अगर वे अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर गए तो वे हार जाएंगे। राज्य में उनकी अनुपस्थिति होते ही कोई और कब्जा कर लेगा।”
भाजपा के लिए 2024 में कितनी चुनौती?
आजाद से 2024 में भाजपा के लिए चुनौती के बारे में भी पूछा गया। उन्होंने कहा कि संख्या के आधार पर चुनाव के बाद ही चुनौती हो सकती है। उन्होंने कहा, ‘भारत की राजनीत में चुनौतियां रही हैं। अगर इच्छाशक्ति हो और आपके पास प्रयाप्त संख्या हो तो यह संभव है। हमने 1991 और 2004 में देखा है। 1998 और 1999 में अटलजी ने चुनाव के बाद कई दलों को साथ किया था। कांग्रेस ने भी दो बार ऐसा किया है। यहां तक कि मोदी जी ने भी गठबंधन किया था, हालांकि उन्हें इसकी जरूरत नहीं थी।”
कांग्रेस के कारण तो कई क्षेत्रीय दल चुनाव हार गए
उन्होंने आगे कहा, ”पश्चिम बंगाल में अगर गठबंधन होता है तो वहां भला कांग्रेस के पास क्या है? एक भी सीट नहीं है। कांग्रेस टीएमसी को कैसे फायदा पहुंचा सकती है? ममता बनर्जी 42 सीटों में से 5 या 10 सीटें कांग्रेस को क्यों देंगी? गठबंधन उन्हीं दलों के बीच होता है जिनके पास वोट ट्रांसफर कराने की झमता हो। यह फिलहाल संभव नहीं है। यहां तो हालात ऐसे हैं कि कई राज्यों में जहां कांग्रेस की वजह से वहां की क्षेत्रीय पार्टियों की हार हुई है।”
गुलाम नबी आजाद से यह भी पूछा गया कि उनकी डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी भविष्य में भाजपा से हाथ मिला सकता है? इसके जवाब में उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता कि घाटी में मैं किसी राजनीतिक दल से हाथ मिलाने जा रहा हूं।”
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