भोपाल। आगामी भविष्य में मप्र को भू-पर्यटन के रूप में तैयार किया जाएगा। पर्यटकों को राष्ट्रीय भू-पर्यटन के लिए भू-विरासत स्थलों का भ्रमण कराया जाएगा। प्रदेश में इसकी शुरूआत ग्वालियर-चंबल अंचल से की जाएगी। इसमें मुरैना जिले में मौजूद चंबल के बीहड़, शिवपुरी जिले के ढाला में उल्का पिंड के प्रभाव से बना गड्ढा घुमाया जाएगा। इसके अलावा ग्वालियर के पिछोर में भू-विरासत स्थल के रूप में आर्बिकुलर ग्रेनाइट साइट विकसित की जाएगी। छात्रों और आम लोगों के बीच भू-विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के लिए ई-व्याख्यान श्रृंखला के आयोजन के साथ ही चट्टानों और खनिजों को प्रस्तुत करने के लिए ट्रैवर्स तैयार किए जाएंगे। दरअसल, भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण शुरू से इंडियन म्यूजियम कोलकाता की तीन गैलरी मेंटेन करता है। भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण के छह क्षेत्रीय कार्यालय और 28 राज्य इकाई कार्यालय में भू-विज्ञान संग्रहालय हैं, लेकिन पूर्ण रूप से एक जियोलाजिकल म्यूजियम ग्वालियर के महाराज बाड़ा स्थित विक्टोरिया मार्केट में 35 करोड़ रुपए की लागत से पहली बार बन रहा है।
इसमें दो गैलरी हैं। इसमें पहली गैलरी का नाम परिवर्तनशील पृथ्वी और दूसरी का नाम जीवन का विकास है। इसमें से पहली गैलरी पूरी तरह से तैयार हो चुकी है। शीघ्र ही इसका लोकार्पण किया जाएगा। इसका लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किया जाना संभावित है। इस जियोलाजिकल म्यूजियम के निर्माण के साथ ही भारतीय भू-विज्ञान सर्वेक्षण द्वारा ग्वालियर-चंबल अंचल के जिलों में भू-विज्ञान पर्यटन की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। गतदिनों ग्वालियर में जियोलाजिकल म्यूजियम का जायजा लेने आए भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण के डायरेक्टर जनरल डा. एस. राजू ने इसके संकेत भी दिए हैं। उन्होंने बताया कि ग्वालियर सहित आसपास के जिलों को अब भू-वैज्ञानिक पर्यटन का केंद्र बनाया जाएगा, क्योंकि यहां कई ऐसी संपदाएं हैं जिनसे पर्यटकों को आकर्षित किया जा सकता है। जियोलाजिकल म्यूजियम का काम समाप्त होने के बाद भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण के अधिकारी इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू करेंगे।
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