नई दिल्ली: देश में सरकार ने डीजल और गैसोलीन यानी पेट्रोल के निर्यात पर रोक को आगे बढ़ा दिया है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने इस सिलसिले में एक नोटिफिकेशन जारी किया है. सरकार घरेलू बाजार के लिए रिफाइंड तेल की उपलब्धता को सुनिश्चित करना चाहती है. सरकार ने इससे पहले शुक्रवार को खत्म हुए वित्त वर्ष तक गैसोलाइन और गैस ऑयल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था.
क्या होगा फैसले का असर?
इस विस्तार से कुछ भारतीय रिफाइनरी कंपनियों, मुख्य तौर पर निजी कंपनियों को दूसरे देशों को निर्यात करने के लिए रूसी तेल को खरीदने से रोका जा सकेगा. ये कंपनियां यूरोप को तेल का निर्यात करने से गैर-प्रोत्साहन भी कर सकती है. यूरोपीय देशों ने यूक्रेन के अतिक्रमण की वजह से रूस से रिफाइन्ड प्रोडक्ट्स खरीदने को रोक दिया है.
पिछले साल, भारत ने अप्रत्याशित तौर पर प्रतिबंध लगा दिए थे. जब गैर-सरकारी रिफाइनरी जैसी रिलायंस इंडस्ट्रीज और Nayara एनर्जी, जो डिस्काउंट वाले रूसी सप्लाई के मुख्य भारतीय खरीदार हैं, उन्होंने घरेलू बिक्री को बढ़ाने की जगह तेल निर्यात पर फोकस किया. इसने सरकारी रिफाइनरी कंपनियों को कमी और मांग को पूरा करने पर मजबूर कर दिया. उन्हें तेल को कम और सरकार द्वारा तय की गई कीमतों पर बेचना पड़ा.
सरकार का पेट्रोल-डीजल पर खास फोकस
इससे पहले केंद्र सरकार ने पिछले महीने कच्चे पेट्रोलियम तेल के घरेलू उत्पादन पर होने वाले विंडफॉल टैक्स को 4400 रुपए प्रति टन से 900 रुपए घटाकर 3,500 रुपए प्रति टन कर दिया था. इससे पेट्रोल और एविएशन टर्बाइन फ्यूल (ATF) दोनों को निर्यात लेवी से मुक्त रखते हुए डीजल पर एक्सपोर्ट ड्यूटी को 0.50 रुपए से बढ़ाकर 1 रुपए प्रति लीटर हो गया है.
इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय बाजार से लेकर घरेलू बाजार तक, इस समय कच्चे तेल की कीमत देश में पेट्रोल की कीमत के मुकाबले करीब 3 गुना कम है. वहीं, भारत की मार्च में तेल की मांग में बढ़ोतरी देखने को मिली है. ऐसा कृषि से जुड़ी गतिविधियों में इजाफे की वजह से हुआ है. तेल की कीमतें फरवरी में कृषि क्षेत्र से मजबूत मांग की वजह से रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई थी. लेकिन उसके बाद थोड़ी सुस्ती देखने को मिली थी.
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