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    तीन दिन की भारत यात्रा पर आ रहे भूटान नरेश, डोकलाम विवाद पर टिकी सबकी नजर

  • April 02, 2023

    नई दिल्ली (New Delhi)। डोकलाम विवाद (Doklam dispute) पर बदले रुख के बीच भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक (Bhutan King Jigme Khesar Namgyel Wangchuck) की 3-5 अप्रैल के बीच होने वाली भारत यात्रा (India trip) को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस दौरान होने वाली मुलाकातों के दौरान भारत की तरफ से इस मुद्दे को भी उठाया जा सकता है। भूटान नरेश स्थिति को साफ कर सकते हैं। दरअसल, डोकलाम विवाद को लेकर भूटान के हालिया रुख से भारत की चिंताएं बढ़ी हैं। ऐसे में सबकी निगाहें इस यात्रा पर टिकी हुई हैं।

    विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने हालांकि साफ किया है कि भूटान नरेश की यात्रा प्रधानमंत्री लोते शेरिंग के बयानों की वजह से नहीं हो रही है बल्कि इसकी तैयारियां काफी दिनों से चल रही थी। लेकिन जिस प्रकार से चीन लगातार भूटान में अपनी पैठ जमा रहा है तथा पिछले पांच-छह सालों के दौरान उसने कूटनीतिक तौर-तरीकों से भूटान के रुख में बदलाव ला दिया है, वह सुरक्षा कारणों से भारत के लिए चिंता पैदा करने वाला है।


    जैसा कि सभी जानते हैं 2017 में भारत और चीन के सैनिकों के बीच उस समय टकराव हुआ था जब डोकलाम में चीनी सैनिकों ने भूटान के क्षेत्र में पड़ने वाली जमीन पर सड़क बनानी शुरू कर दी थी। भारतीय सैनिकों ने इस रोक लिया था। यह स्थान सिक्किम के करीब है। जहां चीन एवं भूटान की सीमाएं भी लगती हैं। तब भूटान का स्पष्ट मानना था कि चीन ने उसके क्षेत्र में घुसपैठ की है।

    डोकलाम विवाद में तीन देश पक्षकार हैं
    कुछ समय पूर्व प्रधानमंत्री शेरिंग ने बेल्जियम के एक अखबार को दिए इंटरव्यू में दो बातें स्पष्ट तौर पर कही जो दर्शाता है कि अब भूटान चीन के प्रभाव में ज्यादा है। एक, उन्होंने कहा कि चीन ने भूटान की सीमा के भीतर अतिक्रमण नहीं किया है। दूसरा, उन्होंने कहा कि डोकलाम विवाद में तीन देश पक्षकार हैं। तीनों बराकर हैं कोई छोटा-बड़ा नहीं है। जब भी भारत-चीन चाहेंगे, भूटान बातचीत करने के लिए तैयार रहेगा। पहले भूटान ने कभी भी इस विवाद में चीन को पक्ष नहीं माना था लेकिन अब मान रहा है।

    चीन लगातार डोकलाम के निकटवर्ती क्षेत्रों में अपना सैन्य ढांचा बढ़ा रहा
    सूत्रों की मानें तो चीन लगातार डोकलाम के निकटवर्ती क्षेत्रों में अपना सैन्य ढांचा बढ़ा रहा है। एक गांव बसाने की तस्वीरें भी आई हैं जो स्पष्ट रूप से भूटान की सीमा के भीतर हैं। लेकिन भूटान के पीएम कह रहे हैं कि अतिक्रमण नहीं हुआ है। ऐसे में शंका यह जताई जा रही है कि क्या भूटान ने यह क्षेत्र चीन को सौंप दिया है। यदि ऐसा है तो यह भारत के लिए खतरे की घंटी है।

    भारत भूटान का बड़ा मददगार रहा
    सूत्रों के अनुसार भूटान की अर्थव्यवस्था कमजोर है तथा वह मदद के लिए भारत और चीन पर ही निर्भर है। भारत उसका बड़ा मददगार रहा है। लेकिन इधर चीन भी वहां तेजी से निवेश कर रहा है तथा मदद प्रदान कर रहा है। इसलिए एक संभावना यह भी जताई जा रही है कि यह भूटान की दवाब की रणनीति हो सकती है। इसलिए भूटान नरेश का क्या रुख रहता है, यह भी महत्वपूर्ण है। वे भारत यात्रा के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात करेंगे। उनके साथ विदेश मंत्री भी आ रहे हैं। इसलिए यह देखना होगा कि शेरिंग के बयान के बाद भूटान नरेश डोकलाम मुद्दे पर क्या सफाई पेश करते हैं।

    मोदी 2019 में गए थे भूटान
    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) अगस्त 2019 में भूटान की यात्रा पर गए थे। जबकि पिछले साल विदेश मंत्री एस. जयशंकर और इसी साल जनवरी में विदेश सचिव ने भूटान की यात्रा की थी। जबकि भूटान नरेश ने सितंबर 22 में भारत की ट्रांजिट यात्रा की थी और वहां के प्रधानमंत्री 2018, 2019, विदेश मंत्री ने 2019 तथा विदेश सचिव ने अगस्त 2022 में भारत की यात्रा की थी जो दोनों देशों के प्रगाढ़ संबंधों को दर्शाता है।

    भारत ने वित्तीय सहायता प्रदान की
    भारत ने 2018-23 के बीच कई विकास परियोजनाओं के लिए भूटान को 4500 करोड़ की वित्तीय सहायता प्रदान की है। जबकि कोविड काल में चिकित्सा उपकरण, टीके आदि दिए। भारत की सहायता से वहां चार बड़े बिजली प्रोजेक्ट स्थापित किए गए हैं जिनकी क्षमता 2000 मेगावाट की है। इसके अलावा दोनों देशों के बीच सभी क्षेत्रों में मजबूत रिश्ते रहे हैं।

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