उज्जैन। 852 करोड़ रुपए का नगर निगम का वार्षिक बजट कल सदन में पारित हो गया है। इस बजट के हिसाब से हम वर्ष भर काम चलेंगे। महापौर ने उज्जैन को विकसित करने के लिए कई नए कार्य इस बजट में पारित कर आए हैं। राज्य शासन से बड़ा बजट नहीं मिला है, ऐसे में इन बड़े कामों को नगर निगम कैसे करेगा यह देखने योग्य बात होगी। कल का नगर निगम का सत्र पूरा हंगामेदार रहा। पार्षदों ने एक-दूसरे पर खूब आरोप भी लगाए और असंसदीय भाषा का प्रयोग भी किया जिससे सदन कुछ देर स्थगित भी हुआ। सबसे अंतिम बिंदू बजट का था। बजट सत्र में सभी ने अपनी बात रखी। कांग्रेस ने नए कर लाने का विरोध किया लेकिन भाजपा द्वारा आम जनता पर कोई कर नहीं लगाने की बात की गई। इस पूरे बजट को बनाने वाले वित्तीय सेवा से आने वाले अधिकारी आदित्य नागर जो कि नगर निगम में अपर आयुक्त थे।
उन्होंने बताया कि यह बजट पूरी तरह जनता के द्वारा जनता के लिए बनाया गया बजट है। इस बजट में विज्ञापन से आय होने की संभावना बढ़ी, पैदल पुल, नए नाले बनाना, नल कनेक्शन वैध करना, सोलर प्लांट की स्थापना से आय बढ़ाना। नई पार्किंग बनाने के लिए 200 लाख आडिटोरियम का निर्माण, एलिवेटेड कारिडोर और पैदल पुल तथा गौरव उत्सव के लिए मेले के लिए भी नया बजट बनाया गया। इस पूरे बजट में जनता पर कोई नया बोझ नहीं लादा गया है। कॉलोनी नाइजरों को भी अधोसंरचना शुल्क पहले 1 प्रतिशत से बढ़ाकर 5 प्रतिशत करने का प्रस्ताव था लेकिन उसे भी पूरक प्रस्ताव से 2 प्रतिशत कर दिया गया। कुल मिलाकर कल बजट सत्र में हंगामा भी हुआ और असंसदीय भाषा का प्रयोग भी हुआ। आउटसोर्स कंपनियों की सेवा अवधि बढ़ाने के मामले में पार्षद गब्बर भाटी ने जब बात रखी तो पार्षद माया त्रिवेदी ने भाजपा बोर्ड को शर्म आनी चाहिए और गब्बर भाटी को बिना पेंदी का लोटा बोला, इस पर खूब हंगामा हुआ और माफी मांगने पर भाजपा के पार्षद उठ गए थे लेकिन पार्षद माया त्रिवेदी ने माफी नहीं मांगी। आखिर थक हार कर गब्बर भाटी ने ही उनके पैर छू लिए और जैसे-तैसे मामला शांत हुआ। बाद में बजट सत्र पर चर्चा हुई और बजट पारित किया गया।
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