नई दिल्ली: हाल में हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) ने जब अडानी ग्रुप (Adani Group) के खिलाफ एक रिपोर्ट निकाली, तो पूरा का पूरा भारतीय शेयर बाजार (indian stock market) इससे हिल गया. इस रिपोर्ट ने सिर्फ अडानी ग्रुप के शेयर्स को बुरी हालत में नहीं पहुंचाया, बल्कि इससे बाजार में ही गिरावट का दौर शुरू हो गया. इसका असर ये हुआ कि शेयर्स में भारी बिकवाली हुई और शेयर मार्केट में इंवेस्टर्स को नुकसान उठाना पड़ा.
सेबी की बोर्ड मीटिंग में बुधवार को फैसला हुआ कि मार्केट कैपिटलाइजेशन (capitalization) के हिसाब से देश की टॉप-100 कंपनियां मार्केट में उठने वाली अफवाहों पर तुरंत बयान दिया करेंगी. या तो वे इसे स्वीकार करेंगी या इससे इनकार करेंगी. ताकि उनके शेयर्स पर इंपैक्ट ना पड़े. बोर्ड मीटिंग के बाद सेबी ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि देश की टॉप-100 कंपनियों को 1 अक्टूबर 2023 से बाजार में उड़ने वाली अफवाहों पर प्रतिक्रिया देनी होगी. जबकि अगले साल 1 अप्रैल 2024 से ऐसा शेयर मार्केट की टॉप-250 कंपनियों को ऐसा करना होगा.
सेबी ने ऐसा कंपनियों के कामकाज में और पारदर्शिता लाने के लिए किया है, ताकि बाजार पर अफवाहों के असर को कम किया जा सके. सेबी ने इस नियम को बनाने का मकसद अफवाह से जुड़ी घटना की हकीकत के मानक तय करना बताया है. हालांकि सेबी ने इसे लेकर तत्काल किसी तरह के मेट्रिक्स जारी नहीं किए हैं. सेबी ने कंपनियों के लिए एक और नियम बनाया है. उन्हें बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की मीटिंग में होने वाले फैसले की जानकारी 30 मिनट के अंदर ही स्टॉक एक्सचेंज को देनी होगी.
गौतम अडानी की कंपनियों को लेकर पहले अमेरिका की शॉर्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक रिपोर्ट जारी की. वहीं ताजा मामला ‘द केन’ की रिपोर्ट का है. हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में जहां अडानी ग्रुप पर अपनी कंपनियों की शेयर वैल्यू बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने और अकाउंटिंग फ्रॉड करने की बात कही गई. वहीं ‘द केन’ की रिपोर्ट में अडानी ग्रुप के लोन चुकाने को लेकर सवाल खड़े किए गए. इन दोनों ही घटनाओं का असर शेयर बाजार पर दिखा. हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद तो अडानी ग्रुप का मार्केट कैपिटलाइजेशन 50 प्रतिशत से भी ज्यादा गिर गया.
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