इंदौर (Indore)। यह पहली बार हुआ है कि कांग्रेस में चल रही गुटबाजी का नुकसान राजनीति के बड़े केंद्र इंदौर को उठाना पड़ रहा है। पिछले सवा दो महीने से शहर कांग्रेस अध्यक्ष का पद खाली पड़ा हुआ है। इस कारण कई अभियानों में इंदौर कांग्रेस पिछड़ रही है। यही नहीं, पूरा काम प्रभारियों के भरोसे चल रहा है। दावेदार भी असमंजस में हैं कि घोषणा कब होगी। इंदौर आने वाला हर बड़ा नेता कभी एक सप्ताह का समय देता है तो कभी 10 दिन का, लेकिन तारीख पे तारीख मिलने के बावजूद अभी तक पार्टी किसी फैसले पर नहीं पहुंच पाई है।
इंदौर शहर कांग्रेस से विनय बाकलीवाल को 21 जनवरी को हटाकर उनके स्थान पर अरविंद बागड़ी को अध्यक्ष बना दिया था, लेकिन विरोध के चलते दूसरे दिन ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को अपना फैसला वापस लेना पड़ा और उसे दूसरे ही दिन होल्ड कर दिया गया। वहीं गोलू अग्निहोत्री भी पद के दावेदार थे, लेकिन उन्हें भी दरकिनार कर दिया गया। अध्यक्ष का पद होल्ड किए जाने के बाद दावेदारों की संख्या भी बढ़ती नजर आ रही है। अमन बजाज, देवेंद्रसिंह यादव और सुरजीतसिंह चड्ढा भी सूची में शामिल हो गए हैं।
सवा दो महीने गुजर गए, शहर कांगे्रस अध्यक्ष के बारे में कोई फैसला नहीं हो पा रहा है। पहले राष्ट्रीय अधिवेशन का हवाला दिया गया तो उसके बाद कमलनाथ विदेश चले गए और फैसला टलता गया। मार्च में ही अध्यक्ष घोषित करने की बात कही जा रही थी, लेकिन वह भी नहीं हुआ। दरअसल आला नेता इंदौर के मामले में जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेना चाहते हैं, क्योंकि इंदौर में किसी भी दल की राजनीति हो उसका असर पूरे प्रदेश में होता है। विशेषकर पश्चिमी मध्यप्रदेश की राजनीति तो इंदौर से ही तय होती है। इंदौर के मामले में विधायक संजय शुक्ला, जीतू पटवारी, विशाल पटेल और पूर्व मंत्री सज्जनसिंह वर्मा भी चुप्पी साधे हुए हैं। वे इस बारे में कुछ कहकर राजनीति में फंसना नहीं चाहते हैं तो शहर कांग्रेस में अब कोई ऐसा नेता भी नहीं बचा है जो सीधे कमलनाथ से बात करके शहर अध्यक्ष घोषित करा सके।
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