भोपाल (Bhopal) । मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की राजधानी भोपाल (Bhopal) में जिंदा गरीब किसान (Farmer) को कागजों में मृत (dead) घोषित कर दिया गया है. कर्मचारियों की लापरवाही (Negligence) के बाद से गरीब किसान खुद को जिंदा साबित करने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहा है. तहसील के दस्तावेजों में किसान की मृत्यु हो जाने के कारण उसे पीएम किसान सम्मान निधि योजना का लाभ नहीं मिल रहा है.
फिलहाल, तहसीलदार ने 3-4 दिन में किसान की समस्या का हल कर देने का आश्वासन दिया है. मामला बैरसिया तहसील के गांव नायसमंद का है. यहां के रहने वाले किसान कन्हैयालाल वंशकार ने साल 2020 में पीएम किसान सम्मान निधि योजना के लिए आवेदन किया था.
योजना के लिए योग्य होने के बावजूद, उनको इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा था. पिछले काफी समय से वो तहसील और पटवारी ऑफिस के चक्कर लगा रहे थे.
ऑनलाइन पता चला सरकारी रिकॉर्ड में हो गई है मौत
मगर, हर बार उनको कुछ न कुछ वजह बताकर वापस भेज दिया जाता था. काफी समय बीतने के बाद भी समस्या का हल नहीं हुआ. इसके बाद किसान के बेटे ने अपने पिता की डिटेल ऑनलाइन चेक कराई. ऑनलाइन स्टेटस चेक करने पर जानकारी सामने आई कि सरकारी रिकॉर्ड में उसकी मौत हो गई है.
इसके बाद तुरंत ही किसान अपने बेटे और परिवार वालों के साथ बैरसिया के तहसीलदार संतोष मुदगल के ऑफिस में पहुंचा. किसान ने उनको अपनी समस्या के बारे में बताया. तहसीलदार ने 3 से 4 दिन में समस्या का हल करने का आश्वासन दिया है. साथ ही संबंधित नायब तहसीलदार ने कलेक्टर को पत्र लिखकर किसान का प्रकरण को एक्टिव कराने का निवेदन भी किया है.
अंधेर नगरी चौपट राजा की सरकार- रामभाई मेहर
वहीं, इस मामले में कांग्रेस ने किसान के प्रकरण का जल्द से जल्द हल करने की मांग की है. सांसद दिग्विजय सिंह के सांसद प्रतिनिधि रामभाई मेहर ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मध्यप्रदेश में अंधेर नगरी चौपट राजा की सरकार चल रही है.
वहीं, किसान कन्हैयालाल ने बताया कि मुझे शासन के रिकार्ड में मृत घोषित कर दिया गया है. मैं शासन से चाहता हूं कि मुझे सरकारी रिकॉर्ड में जिंदा कर दिया जाए. साथ ही मुझे किसान सम्मान निधि योजना का लाभ दे दिया जाए.
इस मामले में तहसीलदार संतोष मुदगल ने बताया कि हमारे पास 40 हजार किसान हैं. इनमें से 2-4 को समस्या आती रहती है. उसका समाधान पहले पटवारी स्तर पर किया जाता है. वहां से नहीं होता है, तो तहसीलदार स्तर पर किया जाता है. कन्हैयालाल की समस्या को भी 3 से 4 दिनों में हल कर दिया जाएगा.
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