इन्दौर (Indore)। यह आश्चर्य और जांच का विषय है कि पिछले 20 सालों में इन्दौर की पुलिस एक भी चर्चित भूमाफिया को किसी भी कोर्ट से सजा नहीं करवा पाई। उलटा गंभीर धाराओं में दर्ज प्रकरणों का एक-एक कर खात्मा अवश्य करवा दिया। पिछले दिनों 23 प्रकरण चिराग शाह पर लगाए गए थे, जिसमें से अधिकांश में गंभीर धाराओं को समाप्त कर थानों से ही जमानतें दे दी तो कल जमीनों का सबसे बड़ा डकैत दीपक जैन उर्फ मद््दा भी मात्र 27 दिन जेल में रहकर छूट गया।
मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान बीते 15 सालों से आपरेशन माफिया चलवा रहे हैं और इन्दौर के भू-माफियाओं के खिलाफ पहला अभियान 2008-09 में उन्होंने चलवाया। उस वक्त भी मद्दा लंबी फरारी काटने के बाद जमानत पा गया तो अभी जब उसके खिलाफ फिर चले अभियान के चलते आधा दर्जन से अधिक एफआईआर दर्ज हुई तो मंत्री, अफसर, नेता के साथ सेटिंग कर पहले तो सफलतापूर्वक फरारी काटी और उसके बाद सभी प्रकरणों में जमानत भी हासिल कर ली। यहां तक की गृह मंत्रालय के जिस फर्जी आदेश से उसे जमानतें मिली, उस मामले में भी वह फिलहाल छूट गया और उसका रासुका निरस्ती का जो फर्जी आदेश था, उसकी अभी हुई सुनवाई में उससे भी वह बच गया और रासुका रद््द करने का ई-मेल आदेश कल सेंट्रल जेल को मिला और मद्दे को छोडऩा पड़ा।
हालांकि खजराना पुलिस ने हिरासत में लेकर उससे कुछ देर पूछताछ की और फिर तीन दिन बाद पूछताछ के लिए बुलाने का नोटिस देकर छोड़ दिया। इसी तरह अन्य भू-माफिया कुछ दिन जेल रहे और छूटकर फिर जमीनों के घोटालों में लग गए, जबकि जिन गंभीर धाराओं में इन भूमाफियाओं खिलाफ सैकड़ों एफाईआर विभिन्न थानों में दर्ज करवाई गई, उनकी अगर गंभीरता और ईमनदारी से पुलिस जांच करती तो कानूनी जानकारों के मुताबिक 20 साल तक की सजा एक-एक भूमाफिया को हो सकती थी, मगर उलटा पुलिस ने गंभीर धाराओं से बरी अवश्य कर दिया और छोटे-मोटे घोटालेबाजों को जेल भेजकर खाना पूर्ति कर ली। एक तरह से मुख्यमत्री शिवराजसिंह चौहान की आंखों में भी इन्दौर पुलिस ने धूल झोंकी और सार्वजनिक मंचों से माफिया को नेस्तनाबूत करने की उनकी घोषणाओं और मंशा पर पानी फेर दिया। अब खुद मुख्यमंत्री को इन भूमाफियाओं के प्रकरणों की एसआईटी बनाकर जांच करवाना चाहिए, ताकि 50 हजार करोड़ रुपये तक के सबसे बड़े भू-घोटालों का पर्दाफाश तो हो सके और साथ ही भू-माफिया जेल जाए।
पकडक़र छोड़ा और कोर्ट में कहा, समाज के लिए घातक
पिछले दिनों इन्दौर पुलिस ने एक अजब ही कारनामा कर दिखाया। मद्दे को जब मथुरा से गिरफ्तार किया तो उसके साथ मौजूद चिराग शाह को यह कहते हुए छोड़ दिया कि उसके खिलाफ कोई प्रकरण ही नहीं है। जब अग्निबाण ने 23 प्रकरणों का हवाला देते हुए पुलिस की पोलपट्टी खोली तो हाईकोर्ट में चल रहे प्रकरण में पुलिस ने यह जवाब प्रस्तुत किया, उसमें यह लिखा चिराग जैसे भू-माफियाओँ का खुले में घूमना समाज के धातक है और इनकी जमानत निरस्त की जाए।
पुलिस कमिश्नरी सिस्टम पर भी सवालिया निशान
मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने आईएएस लॉबी के तमाम विरोध को दरकिनार करते हुए पुलिस महकमे पर भरोसा जताया और इन्दौर-भोपाल में डेढ़ साल पहले पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू किया। इसका असल मकसद यह था कि संगठित अपराधों और मााफियाओं से मुक्ति मिल सके, मगर हुआ उलटा, पुलिस कमिश्नरी सिस्टम में ही यह तमाम माफिया एक-एक कर छूटते रहे। इसके चलते अब सिस्टम में भी सवालिया निशान ले गए।
ईडी और सीबीआई जांच करें तो निकले देश का सबसे बड़ा घोटाला
अभी देशभर में ईडी, सीबीआई भ्रष्टाचारों, घोटालों पर छापे मार रही है और दिल्ली के कथित सौ करोड़ घोटालों पर ही हल्ला मचा रखा है। अगर इन्दौर की गृह निर्माण संस्थाओं की लूटी 50 हजार करोड़ की जमीनों की जांच ईडी और सीबीआई कर ले तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी भौंचक रह जाए और देश का सबसे बड़ा सुनियोजित भू-घोटाला उजागर हो जाए।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved