नई दिल्ली । सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने सोमवार को कहा कि (Said that) कर्जदार या खाते (Debtor or Account) को फ्राड घोषित करने से पहले (Before Declaring it as a Fraud) खाताधारक (Account Holder) को सुनवाई का अवसर (An Opportunity of Being Heard) दिया जाना चाहिए (Should be Given) ।
मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने तेलंगाना उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश की पुष्टि की और गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा लिए गए विपरीत दृष्टिकोण को रद्द कर दिया। पीठ ने जोर देकर कहा कि धोखाधड़ी पर कर्जदारों को सुनवाई का अवसर दिया जाना चाहिए।
पीठ ने कहा कि उधारकर्ता खातों को धोखाधड़ी के रूप में वगीकृत करने का निर्णय तर्कपूर्ण आदेश के साथ होना चाहिए। उन्होंने कहा कि उधारकर्ताओं को संस्थागत वित्त तक पहुंचने से रोकने से उधारकर्ताओं पर गंभीर प्रभाव पड़ता है और यह उधारकर्ताओं को ब्लैकलिस्ट करने के समान है, जो उनके क्रेडिट स्कोर को प्रभावित करता है।
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