नई दिल्ली: उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने हाल ही में गाड़ियों में ईंधन भरने (Fuel Filling Precautions) को लेकर नया सर्कुलर जारी किया है. मंत्रालय ने वाहन चालकों से अपील की है कि कभी भी फ्यूल टैंक को फुल न करवाएं. इसके साथ ही मंत्रालय ने वाहन बनाने वाली कंपनियों पर फ्यूल टैंक की सही क्षमता से कम दिखाने का भी आरोप लगाया है.
मंत्रालय के अनुसार, वाहन के मैनुअल बुक में दी गई लिमिट, फ्यूल टैंक की असली क्षमता से 15-20 फीसदी कम पाई गई है. इससे फ्यूल टैंक फुल करनवाने वाले लोगों को धोखा होता है कि गाड़ी तय लिमिट से अधिक फ्यूल कैसे ले रही है. ऐसे में लोग पेट्रोल पंप पर गड़बड़ी करने का आरोप लगाने लगते हैं.
फुल न करवाएं फ्यूल टैंक
मंत्रालय ने गाड़ियों में ईंधन भरवाने को लेकर भी नए दिशा निर्देश जारी किये हैं, जिसमें ईंधन भरवाते समय कुछ सावधानियां बरतने को कहा गया है. इसमें कहा गया है कि गाड़ियों में फ्यूल टैंक को फुल करवाना खतरनाक हो सकता है. टैंक फुल होने से ईंधन लीक हो सकता है और ऐसे में आग लगने का खतरा बढ़ जाता है.
निर्देश में आगे कहा गया है कि पेट्रोल से निकलने वाले भाप को जगह मिल सके इसलिए टैंक को फुल नहीं करवाना चाहिए. टैंक के फुल होने पर अधिक प्रेशर बनता है जिसके चलते इंजन में जरूरत से ज्यादा ईंधन चला जाता है और इससे वाहन के इंजन परफॉरमेंस पर असर पड़ता है. इससे ईंधन ठीक तरह से नहीं जल पता और अधिक हाइड्रोकार्बन का उत्सर्जन भी होता है.
दिशा निर्देश में कहा गया है कि अगर टैंक फुल होगा तो वाहन के झुकने पर ईंधन बाहर आ सकता है. पेट्रोल अत्यधिक ज्वलनशील पदार्थ है और टैंक से ईंधन बाहर निकलने पर उसमें आग भी लग सकती है. मंत्रालय ने वाहन कंपनियों से भी अपील की है कि वे ग्राहकों को फ्यूल टैंक फुल न करवाने का निर्देश अनिवार्य रूप से दें.
लोग हो रहे धोखे के शिकार
बता दें कि ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां लोग पेट्रोल पंप कर्मियों से गाड़ी में अधिक फ्यूल डालने को लेकर झगड़ते पाए गए. ऐसे सभी मामलों में ग्राहकों ने फ्यूल टैंक में कंपनी की तय सीमा से अधिक ईंधन भरने की शिकायत की थी.
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