नई दिल्ली (New Delhi) । राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाने के बाद कांग्रेस (Congress) आक्रामक है। पार्टी राष्ट्रव्यापी आंदोलन की तैयारी कर रही है, ताकि सरकार को घेरते हुए लोगों की सहानुभूति हासिल की जा सके। वहीं, पार्टी वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) के लिए गठबंधन का भी दबाव बढ़ा है। बीते सप्ताह सूरत की कोर्ट ने उन्हें आपराधिक मामले में दोषी करार दिया था।
पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल को सूरत की अदालत के सजा सुनाने और लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित करने के बाद विपक्षी दलों के समर्थन से गदगद है। कांग्रेस रणनीतिकार मानते हैं कि यह सकारात्मक बदलाव है और पार्टी को इसका फायदा उठाना चाहिए। वहीं, पार्टी को भरोसा है कि इस फैसले से संगठनात्मक तौर पर लाभ मिलेगा।
कांग्रेस संवैधानिक संस्थाओं के दुरुपयोग के मुद्दे पर विपक्षी पार्टियों के साथ मिलकर बड़ा आंदोलन करने की संभावनाओं पर विचार कर रही है। पार्टी अप्रैल के पहले सप्ताह में राजधानी दिल्ली में बड़ी रैली कर सकती है। एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि इस रैली में विपक्षी दलों के नेताओं को आमंत्रित करने पर भी विचार किया जा रहा है।
महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में राजनीतिक शास्त्र के प्रो.राजेंद्र शर्मा मानते हैं कि सरकार ने राहुल गांधी की सदस्यता खत्म करने में जल्दबाजी कर विपक्ष को एक बड़ा मुद्दा दे दिया है। इससे लोगों के बीच भी गलत संदेश गया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर किस तरह विपक्षी पार्टियों और आम लोगों के बीच रखती है।
इस घटनाक्रम के बाद पार्टी के अंदर भी यह बहस तेज हो गई है कि कांग्रेस को गठबंधन की रणनीति पर नए सिरे से विचार करना चाहिए। जिन राज्यों में पार्टी के अपने पैरों पर खड़ा होने की कोई संभावना नहीं है, वहां पार्टी को हकीकत को स्वीकार करते हुए छोटे भाई की भूमिका स्वीकार कर लेनी चाहिए। इससे विपक्षी एकता की संभावना बढ़ जाएगी।
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