नई दिल्ली । कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष (Former President of Congress) राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को लोकसभा सचिवालय (Loksabha Secretariat) ने शुक्रवार को अयोग्य करार देकर (By Disqualifying) उनकी लोकसभा सदस्यता (Their Loksabha Membershiphis) खत्म कर दी (Terminated) । वे अब लोकसभा के सदस्य नहीं हैं। राहुल गांधी को गुजरात की अदालत द्वारा वर्ष 2019 के ‘मोदी उपनाम’ मानहानि मामले में दोषी करार दिए जाने और उन्हें दो वर्ष कैद की सजा सुनाए जाने की वजह से लोकसभा सचिवालय ने यह फैसला लिया है और अब उनकी संसद की सदस्यता खत्म हो गई है।
आपको बता दें कि गुजरात की सूरत जिला अदालत ने गुरुवार को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को 2019 में उनकी ‘मोदी सरनेम’ टिप्पणी को लेकर मानहानि के मामले में दोषी ठहराया। गांधी को भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के तहत दोषी ठहराया गया। इस धारा के तहत अधिकतम सजा दो साल की सजा है। हालांकि, राहुल गांधी के वकील ने कहा कि कोर्ट ने मामले में राहुल को अपील के अधिकार की अनुमति देते हुए दो साल की सजा को घटाकर 30 दिन कर दिया है और जमानत दे दी थी।
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 (3) के अनुसार, जैसे ही किसी संसद सदस्य को किसी भी अपराध में दोषी करार दिया जाता है, और कम से कम दो साल कैद की सजा सुनाई जाती है, वह संसद की सदस्यता ले लिए अयोग्य हो जाता है। इसके बाद निर्वाचन आयोग इस सीट पर विशेष रूप से चुनाव की घोषणा करता है।
इससे पहले 10 जुलाई, 2013 के अपने फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने लिली थॉमस बनाम भारत संघ मामले में ये फैसला सुनाया था कि कोई भी संसद सदस्य (सांसद), विधानसभा सदस्य (विधायक) या एक विधान परिषद (एमएलसी) का सदस्य जो एक अपराध का दोषी है और न्यूनतम दो साल की कारावास की सजा दी गई है, वो तत्काल प्रभाव से सदन की सदस्यता खो देता है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा ये किसी समाज के संबंध में नहीं है जो लोग पैसे लेकर भागे, जैसे ललित मोदी, नीरव मोदी और विजय माल्या वे क्या पिछड़े समाज से थे? ये लोग ऐसी अनुभूति बना रहे हैं कि राहुल गांधी ने पिछड़े समाज के बारे में बोला है।
गौरतलब है कि बीजेपी विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ उनकी टिप्पणी सभी चोरों का उपनाम मोदी क्यों है? पर केस दर्ज कराया था। शिकायतकर्ता ने दावा किया था कि विवादास्पद टिप्पणी 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कर्नाटक के कोलार में एक रैली में की गई थी, जिसने पूरे मोदी समुदाय को बदनाम किया था। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एचएच वर्मा ने मामले में पिछले सप्ताह दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुनाने के लिए 23 मार्च की तारीख तय की थी।
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