नई दिल्ली (New Delhi)। कांग्रेस (Congress) ने मानहानि के एक मामले (defamation case) में सूरत की अदालत (Surat court) द्वारा राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को दो साल की सजा सुनाए जाने पर कानूनी लड़ाई लड़ने (fight a legal battle) के साथ ही इसे बड़ा राजनीतिक मुद्दा (big political issue) बनाने के लिए विपक्षी दलों को साथ लाने और जनता के बीच जाने का फैसला किया है। राहुल गांधी की सजा के खिलाफ कांग्रेस ने सड़कों पर उतरने और अन्य दलों के साथ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) से मिलने का भी फैसला किया है। मुख्य विपक्षी दल ने अदालत के फैसले के तुरंत बाद एक जन आंदोलन की घोषणा की और कहा कि वह न केवल कानूनी रूप से बल्कि राजनीतिक रूप से भी इस मामले को लड़ेगी।
मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर हुई बैठक
फैसले के मद्देनजर, गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अपने आवास पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और सांसदों की एक बैठक बुलाई। बैठक में करीब एक घंटे के विचार-विमर्श के बाद शुक्रवार को विजय चौक पर विरोध-प्रदर्शन करने का फैसला किया गया।
बैठक के बाद कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने संवाददाताओं से कहा कि मल्लिकार्जुन खरगे के घर पर 50 से ज्यादा सांसदों, कांग्रेस स्टियरिंग कमेटी के सदस्य और वरिष्ठ नेताओं की बैठक हुई। शुक्रवार सुबह 10 बजे उन्होंने सभी विपक्षी दलों के सांसदों को बैठक के लिए बुलाया है। इसके बाद सुबह 11:30 बजे से दोपहर 12 बजे तक सभी विपक्षी दल विरोध करने के लिए संसद भवन से विजय चौक तक पैदल मार्च करेंगे। उन्होंने कहा, विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से दोपहर में इस मामले को उनके समक्ष उठाने के लिए समय भी मांगा है।
जयराम रमेश ने कहा कि खरगे के आवास पर बैठक करीब दो घंटे तक चली और यह फैसला किया गया कि पार्टी प्रमुख शाम को सभी प्रदेश कांग्रेस प्रमुखों और कांग्रेस विधायक दल के नेताओं के साथ बैठक करेंगे और राज्यों में आंदोलन की योजना बनाएंगे। जयराम रमेश ने बताया कि शुक्रवार शाम को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सारे पीसीसी अध्यक्ष और कांग्रेस विधायक दल के नेताओं की अलग-अलग राज्यों में होने वाले कार्यक्रमों को लेकर बैठक होगी। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी पर यह फैसला पीएम मोदी सरकार की गंदी राजनीति का उदाहरण है। हम कानूनी और राजनीतिक रूप से इससे लड़ेंगे।
उन्होंने कहा, हम इस मुद्दे पर सोमवार को दिल्ली और अन्य राज्यों में विरोध-प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने कहा कि यह मामला सिर्फ कानूनी मुद्दा नहीं है, बल्कि देश में लोकतंत्र के भविष्य से जुड़ा एक गंभीर राजनीतिक मुद्दा भी है। जयराम ने कहा कि यह मोदी सरकार की प्रतिशोध, धमकी, डराने और उत्पीड़न की राजनीति का एक और प्रमुख उदाहरण है। हम इससे कानूनी रूप से और साथ ही राजनीतिक रूप से लड़ेंगे। हम इस तरह की राजनीति से न तो झुकेंगे और न ही डरेंगे बल्कि इसे एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनाएंगे।
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