विधानसभा में गृहमंत्री ने 12 साल का दिया लेखा-जोखा, हवालात में 54 आत्महत्या और अन्य कारणों से कैदियों की हुई मौत भी
इंदौर। अभी विधानसभा में गृह मंत्रालय से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण सवालों के जवाब में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। विगत 12 सालों में पुलिसकर्मीयों के खिलाफ जहां बलात्कार के 192 प्रकरण दर्ज हुए, जिसमें इंदौर पुलिस के खिलाफ दर्ज हुए 17 मामले भी शामिल हैं, वहीं प्रदेश में 45 एनकाउंटर इस दौरान होना बताए गए और आश्चर्यजनक रूप से 42 एनकाउंटर सिर्फ ग्वालियर जिले में हुए, वहीं इंदौर जैसे सबसे बड़े शहर में पिछले 16 साल से कोई एनकाउंटर ही नहीं हुआ है। अलबत्ता हवालात में आत्महत्या या अन्य कारणों से हुई मौत में इंदौर भी शामिल है, तो प्रदेशभर में इस तरह की हिरासत में 54 मौतें हुई हैं।
इंदौर-भोपाल में लगभग डेढ़ साल पहले पुलिस कमीश्नरी सिस्टम भी प्रयोग के रूप में शुरू हुआ। हालांकि अभी भी गंभीर अपराधों के मामलों में इंदौर सहित बड़े शहर आगे हैं। हत्या, बलात्कार से लेकर अन्य प्रकरणों की संख्या में वृद्धि हुई है, जिसके आंकड़े अभी विधानसभा में ही प्रस्तुत किए गए। इंदौर में लसूडिय़ा पुलिस ने 21 जुलाई 2007 को बैतूल निवासी आशीष गोहिल को एनकाउंटर में मार गिराया था, मगर इसकी मजिस्ट्रियल जांच करवाई गई तो यह एनकाउंटर फर्जी पाया गया, जिसके चलते इंदौर पुलिस ने एनकाउंटरों से ही तौबा कर ली। हालांकि बड़े अपराधियों के एनकाउंटर देशभर में पुलिस द्वारा किए जाते रहे हैं। मगर इंदौर में 2007 के बाद यानी पिछले 16 सालों में कोई एनकाउंटर नहीं हुआ और अभी विधानसभा में विधायक जीतू पटवारी के सवाल के जवाब में गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने जो जवाब दिया उसमें 12 सालों में इंदौर में कोई एनकाउंटर होना नहीं बताया। अलबत्ता प्रदेश में 45 एनकाउंटर 2010 से 2022 के बीच बताए गए। इनमें भी 94 फीसदी एनकाउंटर तो ग्वालियर जिले में ही हुए, जो गृहमंत्री का भी क्षेत्र है। पटवारी के अन्य सवालों के जवाब में गृह मंत्रालय ने यह भी स्वीकार किया कि हवालात विवेचना के दौरान 13, तो हवालात में आत्महत्या की 31, इस तरह कुल 54 घटनाएं हुई। वहीं इंदौर के पुलिसकर्मी के खिलाफ बलात्कार के भी 17 प्रकरण, तेजाजी नगर, एमआईजी, लसूडिय़ा, हीरा नगर, महिला थाना सहित अन्य थानों में दर्ज बताए गए।
62 सरकारी चिकित्सकों के खिलाफ ईओडब्ल्यू और लोकायुक्त में शिकायतें भी
कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने चिकित्सा शिक्षा विभाग से संबंधित जो सवाल पूछा उसमें पिछले 10 वर्षों में सरकारी डॉक्टरों के खिलाफ लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू में भ्रष्टाचार से संबंधित शिकायतों की जानकारी मांगी गई, जिसके जवाब में चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने बताया कि 62 डॉक्टरों के खिलाफ शिकायतें दर्ज हुई हैं। इनमें 26 शिकायतें सरकारी डॉक्टरों के खिलाफ लोकायुक्त में, तो 36 शिकायतें ईओडब्ल्यू में दर्ज की गई। महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि इसमें एक पूर्व कुलपति आरएस शर्मा का नाम भी था, जिसे नस्तीबद्ध कर दिया और मेडिकल कॉलेजों की जबलपुर में स्थित यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार आशु पाठक का नाम भी लोकायुक्त में दर्ज किया है और इनके खिलाफ प्रकरण जारी है।
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