जबलपुर: मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के तहसीलदारों (Tehsildars) ने सोमवार 20 मार्च से 3 दिन की हड़ताल का आह्वान किया है. इस दौरान व्हाट्सएप (Whatsapp) पर वह न किसी सरकारी संदेश (official message) का आदान प्रदान करेंगे और न ही अपने डिजिटल सिग्नेचर का उपयोग करके कोई दस्तावेज बनाएंगे. तहसीलदार प्रमोशन सहित अपनी अन्य मांगों को लेकर हड़ताल (Strike) पर जा रहे हैं.
राजपत्रित अधिकारी संघ के जिलाध्यक्ष प्रदीप मिश्रा ने जबलपुर में अपर कलेक्टर मिशा सिंह को ज्ञापन सौंपते हुए अपने दर्द को बयां किया. उन्होंने कहा कि मैडम हमारे साथ जो कोर्ट मोहर्रिर थे वो अब पुलिस में टीआई हो गए हैं. चौंकाने वाली बात तो यह है कि अन्य प्रदेशों में हमारे कुछ साथी प्रिंसिपल सेक्रेटरी के पद तक पहुंच चुके हैं लेकिन हम तहसीलदार पद पर थे और वर्षों बाद भी इसी पद पर हैं. यह हमारे साथ कैसा अन्याय किया जा रहा है? हम लम्बे समय से मांग कर रहे हैं लेकिन हमें प्रमोशन नहीं मिल रहा है.
तहसीलदार मुनव्वर खान ने कहा कि अब आरपार की लड़ाई की जा रही है. हम पिछले कुछ दिनों से काली पट्टी बांधकर कार्य कर रहे हैं ताकि हमारी बात प्रशासन के कानों तक पहुंचे. शुक्रवार को तहसील से रैली निकाली गई और अपर कलेक्टर को ज्ञापन भी सौंपा गया. अब सभी तहसीलदार और नायब तहसीलदार सोमवार से 3 दिनी अवकाश पर रहेंगे.
प्रशासन को सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है कि सोमवार से तीन दिनों के अवकाश के दौरान तहसीलदार और नायब तहसीलदार विभागीय फोन तक अटैंड नहीं करेंगे. इस दौरान वॉट्सएप ग्रुप छोड़ देंगे और डिजिटल साइन वापस ले लेंगे ताकि उनका कार्य कोई और न कर पाए. सभी सरकारी वाहन भी जिला प्रशासन को वापस कर दिए जाएंगे.
यहां बता दें कि यह पूरा मामला प्रमोशन से जुड़ा है. दस साल पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रमोशन में आरक्षण से जुड़े “माई का लाल” बयान के कारण विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई थी. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के निर्णय के खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट में चली गई. हालांकि, कोर्ट ने प्रमोशन पर कोई रोक नहीं लगाई है लेकिन सरकार ने कोर्ट केस के बहाने पिछले 10 साल से सभी प्रकार के प्रमोशन रोक रखे हैं.
अब कर्मचारियों का दबाव बढ़ने लगा है तो सरकार ने कार्यवाहक पद पर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी है. तहसीलदारों को कार्यवाहक डिप्टी कलेक्टर और नायब तहसीलदारों को कार्यवाहक तहसीलदार बनाया जा रहा है. राजपत्रित अधिकारी संघ का कहना है कि यह आदेश सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से जारी होना चाहिए ताकि उसकी वैधानिकता बनी रहे. यदि आदेश राजस्व विभाग की ओर से जारी हुआ तो इसका कोई महत्व नहीं है. इसी डिमांड को लेकर मध्य प्रदेश राजस्व अधिकारी संघ की ओर से हड़ताल का एलान किया गया है.
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