लिलोन्गे (Lilongwe)। महज दो करोड़ की आबादी वाले गरीब अफ्रीकी देश (poor African country) मलावी (Malawi) पर मौसम की मार मुसीबत (bad weather) बनकर टूटी है. इस लैंडलॉक्ड (landlocked) देश में हाल ही में आए तूफान फ्रेडी (Freddy) ने भयंकर तबाही (wreaked havoc) मचाई है. अब तक 326 लोगों की मौत हो चुकी है और मृतकों का आंकड़ा समय के साथ-साथ बढ़ता ही जा रहा है।
मलावी में इन दिनों हालात इतने खराब हो गए हैं कि तूफान प्रभावित इलाकों में लोगों को रोजमर्रा की जरूरतों के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है. बारिश और बाढ़ के हालातों के बीच कई सड़कें जमीन में समा गई हैं और सड़क की जगह पर बड़े-बड़े गड्ढे बन गए हैं।
मलावी में पहाड़ों पर हुई बारिश अपने साथ कीचड़ और मिट्टी बहाकर ले आई है. यह कीचड़ लोगों के घरों में घुस गया है. हालात काफी बद्तर हो चुके हैं. राहत और बचाव अभियान चलाकर बाढ़ प्रभावित इलाकों से लोगों को रेस्क्यू करने का काम किया जा रहा है।
तूफान का सबसे ज्यादा असर ब्लैंटायर शहर के आसपास देखा गया है. विश्व मौसम विज्ञान संगठन के अनुसार फ्रेडी दक्षिणी गोलार्ध में अब तक आए तूफानों में सबसे शक्तिशाली हो सकता है. यह सबसे लंबे समय तक चलने वाला उष्णकटिबंधीय चक्रवात भी माना जा रहा है।
इस भयंकर तूफा ने मध्य मोजाम्बिक को धराशायी कर दिया है. तूफान का रूप इस भयानक है कि इमारतों की छतें टूट गईं और भूस्खलन के कारण मलावी की तरफ क्वीलिमेन के बंदरगाह के आसपास बाढ़ जैसी स्थिति बन गई है. बता दें कि मलावी इस समय अपने इतिहास में सबसे घातक हैजा के प्रकोप से भी जूझ रहा है. यूएन की एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि फ्रेडी के चलते भारी बारिश के कारण स्थिति और खराब हो सकती है.
वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन उष्णकटिबंधीय तूफानों को मजबूत बना रहा है, क्योंकि महासागर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से गर्मी को अवशोषित करते हैं और जब गर्म समुद्री जल वाष्पित हो जाता है तो ऊष्मा ऊर्जा वातावरण में स्थानांतरित हो जाती है।
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