नई दिल्ली (New Delhi) । डॉक्टर के लिखे पर्चे को अपलोड करके ऑनलाइन दवाएं (Online Medicine) खरीदने की मौजूदा व्यवस्था पर रोक लग सकती है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (Union Ministry of Health and Family Welfare) ई फार्मेसी को लेकर कड़े नियम बनाने की तैयारी में है। सूत्रों की मानें तो ई फार्मेसी पर दवाओं की बिक्री को न्यूनतम करने के लिए नए तंत्र की स्थापना की जा सकती है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि ई फार्मेसी को लेकर मौजूदा नियमों में जल्द बदलाव होगा। मौजूदा समय में दवा नियामक के पास कंपनियां पंजीकृत करके श्रेणी ‘एच’ की दवाओं को डॉक्टर के पर्चे और बाकी अन्य दवाओं को बिना पर्ची के ऑनलाइन बेच सकती हैं। हालांकि उन दवाओं की ऑनलाइन बिक्री पर रोक है जिसमें मादक पदार्थ के अंश मिले होते हैं।
साथ ही कंपनियों को आईटी अधिनियम के नियमों का पालन करना होता है और विज्ञापन करने पर रोक है। लेकिन कंपनियां इन नियमों का उल्लंघन करती हैं। पिछले महीने ड्रग कंट्रोलर की तरफ से 20 नामी ऑनलाइन फार्मेसियों (online pharmacies) को नोटिस जारी किए गए थे।
मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि 12 लाख केमिस्ट दवाओं की ऑनलाइन दवाओं की बिक्री का विरोध कर रहे हैं। पूर्व में बने मंत्रियों के समूह ने भी दवाओं की ऑनलाइन बिक्री पर असहमति जताई थी।
सूत्रों ने कहा कि ऑनलाइन दवा कंपनियों का यह तर्क बेबुनियाद है कि विदेशों में ई फार्मेसी को मंजूरी है। किसी भी देश में ऐसा नहीं है बल्कि ‘ई प्रिस्क्रप्सन’ होता है, जिसमें ऐसा तंत्र होता कि डॉक्टर का चर्चा सीधे फार्मेसी के पास जाता है और वहां जाकर मरीज अपनी दवा एकत्र कर सकता है। सूत्रों के अनुसार, ई फार्मेसी पर पूरी तरह से रोक लगाने की बजाय कुछ इसी प्रकार का तंत्र विकसित हो सकता है, जिसमें ई फार्मेसी और डॉक्टर एक ही प्लेटफार्म पर आ सकें।
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