जबलपुर। 2023 के चुनावी संग्राम में अग्निबाण के इस दूसरे और विशेष अंक में हम बात कर रहे हैं उत्तर मध्य विधानसभा की…कहने को शहर की सबसे पुरानी और किसी जमाने में प्रदेश समेत देश की सियासत का केंद्र रही उत्तर मध्य विधानसभा 2023 में भाजपा समेत कांग्रेस के कई दावेदारों का केंद्र भी बनती जा रही है। यहां कांग्रेस की लिए तकरीबन 99 प्रतिशत विनय सक्सेना ही अगला चेहरा हो इस बात में कोई दो राय नहीं है। लेकिन भाजपा की ओर से आखिर चेहरा कौन होगा इसको लेकर खिचड़ी सी पक रही है। चुनावी गप्प से लेकर चाय वाली दुकान तक रोजाना नए-नए दावेदारों की चर्चाएं इन दिनों उत्तर मध्य विधानसभा क्षेत्र में सरगर्म है।
2018 में हुए त्रिकोणीय मुकाबले में खुला था विनय की किस्मत का ताला, अंतिम चरण में 3 अंकों में जीत की थी दर्ज
जातीय समीकरणों को समझें तो जैन और बनिया समुदाय का इस विधानसभा में मजबूत और निर्णायक योगदान रहता है। भाजपा के लिए बेहद मजबूत सीट रही उत्तर मध्य में 2018 में त्रिकोणीय मुकाबले ने तस्वीर को बदल दिया था और कांग्रेस की वापसी को तय किया था। बेशक 3 अंकों में ही सही लेकिन कांग्रेस ने इस विधानसभा सीट से जीत दर्ज की थी और पार्षद से सीधे विधायक पद पर उम्मीदवार रहे विनय सक्सेना को प्रमोशन सा मिल गया था। लेकिन इस बार उनके लिए भी राह आसान नहीं है, फिर भी 5 साल के कार्यकाल में अब तक उनके द्वारा विकास के जो कार्य किए गए वह संभवत: इसके पहले दर्ज न किए गए हो। हालांकि रंग पंचमी के मौके पर विधायक विनय सक्सेना ने एक नई रीत की शुरुआत करते हुए विशाल रंग यात्रा का नया प्रचलन शहर में शुरू किया जिसमें इंदौर की झलक देखने को मिली थी। चुनावी शूरमा कहते हैं कि विनय भैया ने चुनावी वर्ष में रंग पंचमी पर अपने प्रतिद्वंदियों के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
भाजपा की ओर से चाचा कर रहे कम बैक की तैयारी! तो वही भतीजे भी हैं लाइन में…
विधानसभा क्षेत्र की सियासी चर्चाओं से मिले इनपुट के आधार पर कहें तो चाचा याने पूर्व मंत्री और पूर्व विधायक रहे शरद जैन 2023 में कम बैक कर सकते हैं। इस कमबैक के पीछे कई पहलू है जिसके आधार पर चाचा ने एक बार फिर चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी मजबूत कर दी है। चूंकि पिछली दफा भाजपा के नेता रहे धीरज पटेरिया ने बागी होकर निर्दलीय ही उत्तर मध्य विधानसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतर गए थे, जिसके चलते भाजपा के लिए वोट कटवा की भूमिका को उन्होंने निभाया और भाजपा को इस सीट से हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन इस बार संभवत: ऐसी तस्वीर न देखने को मिले इस वजह से शरद जैन अपने मजबूत वोट बैंक को आधार मानकर पार्टी के आला नेताओं के समक्ष अपना रिपोर्ट कार्ड पेश कर चुके हैं और इस विधानसभा सीट से मजबूत दावेदारी की पेशकश भी कर रहे हैं। लेकिन क्या संगठन उनकी मजबूत दावेदारी पर मुहर लगाता है या नहीं यह देखना दिलचस्प होगा।
यह युवा चेहरे भाजपा की ओर से पेश कर रहे मजबूत दावेदारी
युवा चेहरे के रूप में सबसे पहला नाम उत्तर मध्य विधानसभा से नेता प्रतिपक्ष कमलेश अग्रवाल का चल रहा है। बीते नगरीय निकाय चुनाव में जो करिश्मा उन्होंने कर दिखाया उससे उनका कद और चेहरा राजधानी तक निखरा है। एक बेहद नए नवीले वार्ड में पैराशूट उम्मीदवार बनकर उतरे कमलेश अग्रवाल ने नगरीय निकाय चुनाव में एक शानदार जीत को दर्ज किया था और साबित कर दिया था कि उनके लिए चुनाव में किसी वार्ड या सीमा क्षेत्र का बंधन नहीं बल्कि नेतृत्व के रूप में वे कहीं भी आजमाए जा सकते हैं। जनता से मिले प्यार और समर्थन ने उनके पॉलीटिकल करियर पर चार चांद लगाने का काम किया है। कभी कैंट से विधायकी के लिए हर जोर आजमाइश कर चुके कमलेश अग्रवाल ने अब अपना मन बदल कर उत्तर मध्य में फोकस करना शुरू किया है और अगर पार्टी उनके नाम पर मंथन करेगी तो एक बार वह फिर करिश्मा कर दिखाएं ऐसा कहने पर भी कोई गुरेज नहीं होगा। मिलनसार छवि और अपने स्वभाव के चलते कमलेश हर वर्ग मेें अपनी पहुंच रखते हैं।
प्रदेश कोषाध्यक्ष अखिलेश जैन संगठन छोड़ आ सकते हैं मैदान पर !!!
उत्तर मध्य के चुनावी गलियारों में चर्चा है कि भाजपा के हर खर्च और लेन देन का ब्यौरा रखने वाले उनके प्रदेश कोषाध्यक्ष सीए अखिलेश जैन भी 2023 में मैदान में उतर सकते हैं। संगठनात्मक तौर पर बेहद निखरता चेहरा और नित नए आयाम और नए जिम्मेदारियों को पाने वाले अखिलेश जैन पर संगठन और पार्टी मुहर लगाए इस बात की भी चर्चाएं जोरों पर हैं। जमीनी स्तर पर उनकी पकड़ कितनी है इस पर कोई टिप्पणी नही की जा सकती लेकिन अगर संगठन का साथ मिलता है तो भाजपा के प्रदेश कोषाध्यक्ष अखिलेश जैन भी इस विधानसभा से भाजपा की ओर से मैदान में उतारे जा सकते हैं। इस विधानसभा से भाजपा की ओर से उनकी दावेदारी के पीछे एक बड़ा समीकरण जाति का ही सामने आ रहा है। जैन समुदाय से आने वाले अखिलेश जैन अब तक निर्विवाद छवि स्थापित कर चुके हैं वहीं बतौर गेल इंडिया के निर्देशक के रूप में उन्होंने शहर को जो 800 करोड़ की सौगात गैस पाइप लाईन के रूप में दी है उसे वो जल्द ही अपनी उपलब्धि के रूप में भुना सकते हैं।
भाई साहब के चहेतों की भी उत्तर मध्य में पेश हो रही दावेदारी…
जैन समुदाय से भरा पड़ा उत्तर मध्य विधानसभा जातीय समीकरणों के आधार पर भी टटोला जाएगा। भाजपा हो या कांग्रेस जातीय समीकरणों के आधार पर ही हर पार्टी इस विधानसभा में काम करती है और करेगी भी । 2023 के चुनावी संग्राम में जैन समुदाय से भी युवा चेहरों की एक लंबी कतार सी लगी है इनमें एक और ‘सीएÓ राजेश जैन टिकट पाने के लिए लाइन में लग गए हैं । हाल ही में सांसद खेल महोत्सव से सुर्खियां बनाने वाले राजेश जैन अब पार्टी के लिए हर कार्यक्रम में सक्रिय दिख रहे हैं। विधानसभा स्तर पर भी उनकी बैठकें शुरू हो गई हैं और चर्चा है कि वह भी टिकट पाने के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रहे। भाजपा के प्रदेश मुखिया वी.डी.शर्मा से लेकर संगठन के प्रमुख नेताओं तक उनका राजधानी रन हर हफ्ते लगा रहता है। कहने को चर्चाएं तो यह भी हैं कि अगर शरद जैन टिकिट पाने में पीछे रह जाते हैं तो उनके उत्तराधिकारी के रूप में राजेश जैन उनके समर्थन से भाजपा की ओर से 2023 के चुनावी संग्राम मेें मैदान में उतरे दिखेंगे।
भतीजों की आंख पर मिर्च का काम कर रहे हैं चाचा
उत्तर मध्य से चुनाव लडऩे के लिए भतीजे भी मैदान पर अपनी दावेदारी को कमतर नहीं आंक रहे। भाजपा की मजबूत सीट रही उत्तर मध्य से चुनाव लडऩे के लिए कई युवा और योग्य चेहरे भी किस्मत आजमाने पार्टी के समक्ष अपना बायोडाटा जुबानी ही सही पेश कर रहे हैं।
बीते 2 विधानसभा चुनाव में इन चेहरों पर पहले भी हो चुकी है चर्चा
सामान्य सीट के चलते इसके पहले जैन समुदाय से ही गुड्डा उर्फ संदीप जैन का नाम भी दावेदार के रूप में सामने आ चुका है। उनके अलावा वरिष्ठ पार्षद रह चुके श्रीराम शुक्ला और पूर्व नगर अध्यक्ष विनोद मिश्रा का भी नाम दावेदारों के रूप में चल चुका है। वहीं हर ओर से मुंह की खाने वाले धीरज पटैरिया एक बार फिर भाजपा की ओर उम्मीदें लेकर मुंह ताके बैठे हैं और दिल्ली के वरिष्ठ भाजपा नेताओं के दरबार में अपनी वापसी की गुहार लगा रहे हैं।
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