नई दिल्ली (New Delhi) । पाकिस्तान (Pakistan) की अब उम्मीद केवल आईएमएफ पर टिकी है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की सख्ती के बाद पाकिस्तान के अपने भी मदद देने से कतरा रहे हैं. चीन, UAE समेत कई देश अब पाकिस्तान को IMF की बातें मानने की सलाह दे रहे हैं. इस बीच अब पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. वहीं अगर IMF से फंड मिल भी जाता है तो वो ‘ऊंट के मुंह में जीरा’ साबित होने वाला है.
पिछले साल श्रीलंका ने खुद को आर्थिक तौर दिवालिया घोषित कर दिया था. अब पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति भी श्रीलंका से बदतर हो चुकी है. श्रीलंका के दिवालिया होने के पीछे सरकार की नीतियां जिम्मेदार थीं, पाकिस्तान की नीतियां दुनिया में किसी से छिपी नहीं हैं. इन दोनों देशों के राजनेताओं ने समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए, जिससे देश की आर्थिक सेहत इतनी बिगड़ गई.
दरअसल, मौजूदा समय में पाकिस्तान में महंगाई चरम पर है, लोगों की आमदनी घट रही है. अगर IMF से 1 बिलियन डॉलर की मदद मिल भी जाती है तो उससे कितने दिन तक खतरा टल जाएगा. पाकिस्तान कर्ज की जाल में फंस चुका है, अब उससे बाहर निकलना आसान नहीं है. लोन को चुकाने के लिए लोन लिया जा रहा है. कुछ इसी तरह सालभर पहले श्रीलंका में चल रहा था.
कंगाली की वजह
श्रीलंका सरकार की गलत नीतियों की वजह से देश कंगाल हुआ. सरकारी खजाने खाली होने के बावजूद सत्ता में बने रहने के लिए नेताओं ने लोकलुभावन फैसले लिए. ये सबकुछ कर्ज लेकर किया जा रहा था, फिर तो दिवालिया होना तय था. अब पाकिस्तान की बात करते हैं. पाकिस्तान भी कर्ज का आदी चुका है, जिसने अब भयावह रूप ले लिया है. हालांकि इस दौरान पाकिस्तानी सेना के हुक्मरानों और राजनेताओं की संपत्ति बेतहाशा बढ़ी है. राजनीतिक अस्थिरता भी पाकिस्तान को आर्थिक तंगी में धकलने का एक बड़ा कारण है.
असली गुनहगार कौन?
श्रीलंका में भ्रष्टाचार चरम पर था, इसे रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए, हालात आज सबके सामने है. इतिहास देखें तो पाकिस्तान में राजनेताओं पर सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं, आरोप लगते ही नेता पाकिस्तान छोड़कर भाग जाते हैं, या फिर सलाखों के पीछे पहुंच जाते. दोनों जगहों पर जनता ने सरकार के खिलाफ मोर्चो खोल दिया है. श्रीलंका में तो राष्ट्रपति भवन पर प्रदर्शनकारियों ने कब्जा कर लिया था, तस्वीरें पूरी दुनिया ने देखीं. ठीक उसी तरह अब पाकिस्तानी आवाम का भी नेताओं के खिलाफ गुस्सा फूटने लगा है, क्योंकि जनता सब जानती है. इन दोनों देशों को कंगाली के लिए यहां के राजनेता जिम्मेदार हैं.
महंगाई से जनता त्रस्त
फरवरी 2023 में श्रीलंका में खुदरा महंगाई दर (Sri Lanka Inflation) 50.6 फीसदी रही. जबकि जनवरी में महंगाई दर 51.7 फीसदी थी. यह पिछले साल के मई के बाद सबसे नीचे है. इससे पहले दिसंबर-2022 में 57.2 फीसदी थी. श्रीलंका में गैस सिलेंडर, आटा-चावल से लेकर पेट्रोल-डीजल की भारी किल्लत हो गई थी. क्योंकि श्रीलंकाई करेंसी धाराशाई हो गई थी.
पाकिस्तान में फिलहाल महंगाई दर 31.5 फीसदी रिकॉर्ड की गई है, यह 1974 के बाद यानी करीब 50 साल में सबसे ऊपर है. पिछले महीने यानी जनवरी 2023 में महंगाई 27.6 फीसदी थी, जबकि दिसंबर 2022 में 24.5 फीसदी थी. खुदरा महंगाई दर बेकाबू होने से महत्वपूर्ण वस्तुओं की कीमतें आसमान पर पहुंच गई हैं.
इस महंगाई से जनता को कौन बचाए?
पाकिस्तान में महंगाई का आलम ये है कि दूध, ब्रेड और आटा जैसी रोजमर्रा की चीजें बेहद महंगी हो गई हैं.
श्रीलंका में फूड रेट (7 फरवरी का डेटा)-
दूध – 420 रुपये लीटर
चावल- 227 रुपये किलो
अंडा- 48 रुपये पीस
चिकन- 1312 रुपये किलो
संतरा- 1082 रुपये किलो
आलू- 341 रुपये किलो
टमाटर- 412 रुपये किलो
पाकिस्तान में फूड रेट (7 फरवरी का डेटा)-
दूध – 150 रुपये लीटर
चावल- 213 रुपये किलो
अंडा- 21 रुपये पीस
चिकन- 550 रुपये किलो
संतरा- 169 रुपये किलो
आलू- 66 रुपये किलो
टमाटर- 126 रुपये किलो
वहीं इन सबके बीच डॉलर के मुकाबले पाकिस्तान रुपया पस्त है. फिलहाल एक डॉलर की वैल्यू 277.71 पाकिस्तानी रुपये के बराबर है. जबकि 324.34 श्रीलंकाई रुपये एक डॉलर के बराबर है. हालांकि पिछले कुछ दिनों में श्रीलंकाई करेंसी की सेहत में थोड़ी सुधार देखने को मिली है. लेकिन अब चिंता पाकिस्तान को लेकर है. जिस तरह से दिन प्रतिदिन कर्ज में डूबता जा रहा है, उससे वो दिन दूर नहीं है, जब पाकिस्तान खुद को दिवालिया घोषित कर दे.
गिरता विदेशी मुद्रा भंडार
श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार जनवरी में करीब 2120 मिलियन डॉलर के करीब था. जबकि दिसंबर 1898 मिलियन डॉलर था. यानी मामूली सुधार हुआ है. एक समय यह गिरकर 1272 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया था. पाकिस्तान में विदेशी मुद्रा भंडार (Pakistan’s foreign exchange) 3 बिलियन डॉलर के आसपास पहुंच गया है. अब जब जेब मैं पैसे नहीं होंगे तो आयात कैसे करेंगे, श्रीलंका के दिवालिया के पीछे यह एक सबसे बड़ा कारण था, अब पाकिस्तान का खजाना खाली है.
पाकिस्तान का कुल विदेशी कर्ज वर्तमान में 97 अरब डॉलर से अधिक है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों, विभिन्न देशों, विदेशी वाणिज्यिक बैंकों और अंतरराष्ट्रीय बांड बाजार का कर्ज शामिल है. यह देश की जीडीपी का 80 फीसदी से ज्यादा है. वहीं इस कर्ज में करीब एक तिहाई हिस्सा केवल चीन का है, इसमें चीन के सरकारी वाणिज्यिक बैंकों का कर्ज भी शामिल है. पाकिस्तान पर चीन का 30 अरब डॉलर का कर्ज बकाया है, जो फरवरी 2022 में 25.1 अरब डॉलर था. पाकिस्तान को चीनी सहायता IMF लोन से तीन गुना अधिक है.
स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के मुताबिक इस कर्ज में पेरिस क्लब, आईएमएफ, वर्ल्ड बैंक, एशियन डिवेलपमेंट बैंक और दूसरे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के कर्ज शामिल हैं.
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