इस्लामाबाद (Islamabad)। पाकिस्तान (Pakistan) में आर्थिक संकट (economic crisis) के बीच राजनीतिक संकट के भी आसार (possibility of political crisis) दिखने लगे हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (Prime Minister Shahbaz Sharif) की कुर्सी खतरे में पड़ सकती है। गठबंधन सरकार में शामिल पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (PPP) के अध्यक्ष और विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी (Foreign Minister Bilawal Bhutto-Zardari) ने समर्थन वापस लेने के लिए संकेत दिए हैं। बिलावल ने कहा है कि अगर संघीय सरकार सिंध प्रांत में बाढ़ पीड़ितों से किए गए अपने वादे को पूरा नहीं करती है तो उनकी पार्टी के लिए सरकार में बने रहना बहुत मुश्किल होगा। बिलावल ने रविवार को एक सब्सिडी प्रोग्राम का उद्घाटन के दौरान ये बातें कही।
दूसरी तरफ पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पीपीपी के सह-प्रमुख आसिफ अली जरदारी ने भी अगले आम चुनाव में पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) गठबंधन में लड़ने की संभावनाओं को दरकिनार कर दिया है। उन्होंने कहा कि पीपीपी अगला चुनाव अपने तीर के निशान के तले लड़ेगी और सत्तासीन पीडीएम केसाथ गठबंधन नहीं करेगी।
पाकिस्तान में कैसे बनी थी गठबंधन सरकार? देश में चुनाव कब होने हैं?
पिछले साल मार्च में इमरान के साथ मिलकर सरकार बनाने वाली दो पार्टियों ने अपना समर्थन वापस ले लिया। इसके बाद सात सांसदों वाली एमक्यूएमपी, पांच सांसदों वाली पीएमएलक्यू, पांच सांसदों वाली बीएपी और एक सांसद वाली जेडब्ल्यूपी ने भी इमरान खान का साथ छोड़ दिया और वह अल्पमत में आ गए। इसके बाद विपक्ष ने संसद में इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया जिसका पूर्व पीएम सामना नहीं कर पाए और उनकी सत्ता चली गई।
क्रिकेटर से नेता बने 69 वर्षीय इमरान को 10 अप्रैल को अविश्वास प्रस्ताव के जरिए सत्ता से बाहर कर दिया गया था। इस प्रकार से वह पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री बने जिन्हें संसद द्वारा बिना किसी औपचारिकता के हटा दिया गया।
इन घटनाक्रमों से गिरी थी इमरान सरकार
20 मार्च : इमरान के साथ मिलकर सरकार बनाने वाली दो पार्टियों ने अपना समर्थन वापस ले लिया।
24 मार्च : सात सांसदों वाली एमक्यूएमपी, पांच सांसदों वाली पीएमएलक्यू, पांच सांसदों वाली बीएपी और एक सांसद वाली जेडब्ल्यूपी ने भी इमरान खान का साथ छोड़ दिया और वह अल्पमत में आ गए।
25 मार्च : विपक्ष ने संसद में इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। 31 मार्च को इसपर चर्चा होने की बात कही गई।
30 मार्च : पाकिस्तान आर्मी के चीफ जनरल बाजवा प्रधानमंत्री इमरान खान से मिलने पहुंचे।
31 मार्च : पाकिस्तान की संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के लिए तीन अप्रैल की तारीख घोषित कर दी गई।
तीन अप्रैल : पाकिस्तान संसद के डिप्टी स्पीकर कासिम खान सूरी ने आर्टिकल-5 का हवाला देते हुए अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया। राष्ट्रपति ने संसद भंग कर दी।
7 अप्रैल: पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि डिप्टी स्पीकर द्वारा अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करना और बाद में नेशनल असेंबली को भंग करना असंवैधानिक था।
14 अप्रैल: पीटीआई के 123 सांसदों ने असेंबली से इस्तीफा दे दिया और सरकार गिर गई।
देश में चुनाव कब होने हैं?
पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के भंग होने के बाद 60 दिनों से कम समय में पाकिस्तान में आम चुनाव कराने होते हैं। असेंबली 13 अगस्त 2023 को भंग होगी। नेशनल असेंबली के 336 सदस्यों में 266 सामान्य सीटें होती हैं, जो फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट वोटिंग द्वारा चुनी जाती हैं। 60 सीटें आनुपातिक प्रतिनिधित्व द्वारा चुनी गई महिलाओं के लिए आरक्षित होती हैं। वहीं, प्रत्येक प्रांत में प्रत्येक पार्टी द्वारा जीती गई कुल सामान्य सीटों की संख्या के आधार पर आनुपातिक प्रतिनिधित्व के माध्यम से निर्वाचित गैर-मुस्लिमों के लिए दस सीटें आरक्षित हैं।
पीपीपी समर्थन वापस ले लेती है तो शरीफ सरकार के पास क्या विकल्प होंगे?
पाकिस्तान की मौजूदा गठबंधन सरकार में 82 सीटों के साथ सबसे बड़ा घटक दल पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) या (पीएमएल-एन) है। वहीं, दूसरा बड़ा दल पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) है जिसके पास 53 सीटें हैं। यहां बहुमत के लिए 172 सीटों का आंकड़ा जरूरी होता है। यदि पीपीपी पार्टी सरकार से अपना समर्थन वापस ले लेती है तो पाकिस्तान में फिर सरकार गिर सकती है।
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