कोलकाता: पूर्वोत्तर में तृणमूल कांग्रेस के उम्मीद से कम प्रदर्शन के बाद पार्टी भाजपा और कांग्रेस से समान दूरी बनाए रखने की तैयारी कर अपनी राजनीतिक रणनीति बदल रही है और दोनों के खिलाफ क्षेत्रीय दलों का एक समूह बनाने की कोशिश कर रही है.
बता दें कि त्रिपुरा विधानसभा में टीएमसी को नोटा द्वारा डाले गए वोटों से कम वोट मिले, जबकि मेघालय में पार्टी की संख्या 11 से घटकर पांच हो गई, जो पहले ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी के पास थी. ऐसे में टीएमसी अब बीजेपी और कांग्रेस के खिलाफ क्षेत्रीय दलों को एकजुट करने की कोशिश कर रही है.
टीएमसी के नेता ने कहा, “राष्ट्रीय स्तर पर हमारी रणनीति भाजपा और कांग्रेस दोनों से समान दूरी बनाए रखने की होगी. हम चाहते हैं कि अन्य विपक्षी दल जो भाजपा से लड़ना चाहते हैं, लेकिन कांग्रेस का विरोध करते हैं, वे एक साथ आएं और एकजुट विपक्षी मोर्चे के रूप में काम करें.”
कांग्रेस और भाजपा से समान दूरी बनाए रखेगी टीएमसी
लोकसभा में टीएमसी संसदीय दल के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने पीटीआई को बताया, हम पहले से ही बीआरएस (तत्कालीन टीआरएस), आप और अन्य जैसे दलों के साथ बातचीत कर रहे हैं. यह रणनीति अगले संसद सत्र में दिखाई देगी.” ममता बनर्जी ने हाल ही में यह भी घोषणा की थी कि पार्टी 2024 के लोकसभा चुनावों में अकेले उतरेगी. यह फैसला कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ-साथ माकपा नेताओं द्वारा टीएमसी पर विपक्षी वोटों को विभाजित करके भाजपा की मदद करने का आरोप लगाने के बाद आया है.
बंगाल में अकेले लोकसभा चुनाव लड़ेगी टीएमसी
वयोवृद्ध टीएमसी नेता और सांसद सौगत रॉय ने कहा कि चूंकि लोकसभा चुनाव अभी एक साल दूर हैं, इसलिए आने वाले दिनों में स्थिति और विकसित होगी. रॉय ने कहा, “देखते हैं कि चीजें कैसे आकार लेती हैं, क्योंकि चार प्रमुख राज्यों में इस साल चुनाव होने हैं। इस साल के अंत तक राजनीतिक स्थिति और बेहतर होगी.”
इस साल मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक में विधानसभा चुनाव होने हैं. रॉय ने केंद्रीय एजेंसियों के ‘जबरदस्त दुरुपयोग’ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कांग्रेस, वामपंथी दलों, जद (यू), द्रमुक और जद (एस) को छोड़कर नौ विपक्षी दलों के नेताओं द्वारा हाल ही में लिखे गए पत्र का जिक्र करते हुए कहा कि यह “सिर्फ शुरुआत” है.
तृणमूल कांग्रेस के दावे पर कांग्रेस और माकपा का पलटवार
टीएमसी के मुख्य प्रवक्ता सुखेंदु शेखर रॉय ने कहा, “कांग्रेस अभी तक भारतीय राजनीति की बदलती वास्तविकता के साथ नहीं आ पाई है. यह पिछले नौ वर्षों में बुरी तरह से लड़ने में विफल रही है.” भाजपा इसलिए हम उनके संबंधित राज्यों में मजबूत ताकतों के साथ गठबंधन करने की कोशिश करेंगे. टीएमसी ने पिछले साल उप-राष्ट्रपति चुनाव में मतदान से भी परहेज किया था.
लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने हालांकि कांग्रेस को छोड़कर विपक्षी दलों को एक साथ लाने के टीएमसी के प्रयास को “भाजपा की मदद करने का प्रयास” करार दिया, “आपको भूमिका को समझने के लिए राजनीतिक पंडित होने की आवश्यकता नहीं है टीएमसी जैसे विपक्षी दल भाजपा की मदद करने के लिए खेल रहे हैं. टीएमसी अब राष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ गई है क्योंकि यह भाजपा की कठपुतली के रूप में बेपर्दा है. माकपा के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम ने दावा किया कि भाजपा के खिलाफ लड़ाई में टीएमसी की विश्वसनीयता नहीं है.”
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