इंदौर (Indore)। खतरों से भरा खराब खंडवा रोड (Khandwa Road) कल फिर दो जिंदगियों को लील गया। बाईग्राम के पास पुलिया से बस गिर जाने पर दो लोगों की मौत हो गई और कई घायल हैं। जांच में सामने आया है कि बस के गिरने से पहले ही ड्राइवर इससे कूद गया था, लेकिन इस पूरे मामले के लिए ड्राइवर या खराब बस से कहीं ज्यादा सिस्टम दोषी है। एक माह पहले ही इस मार्ग पर हो रहे हादसों को देखते हुए संबंधित अधिकारियों ने दौरा कर बैठक ली थी और इस पुलिया पर रैलिंग ना होने पर इसे ब्लैक स्पॉट भी घोषित करते हुए इस पर रैलिंग लगाने की बात कही थी, लेकिन यह बात सिर्फ बात ही बनकर रह गई।
हादसे के बात एक ओर जहां मृतकों और घायलों के परिवारों में मातम छाया हुआ है, वहीं जिम्मेदार विभाग एक बार फिर औपचारिक खानापूर्ति करने में जुट गए हैं। जांच में सामने आया है कि बस तेज गति से चल रही थी तभी उसका शॉफ्ट टूट गया, जिससे ड्राइवर का बस पर नियंत्रण नहीं रहा। सामने पुलिया थी। अपनी जांच बचाने के लिए ड्राइवर बस से कूद गया। उसे देख कुछ और लोग भी बस से कूद गए, लेकिन ज्यादातर बस के साथ ही पुलिया में गिरे। मामले में परिवहन विभाग ने बस ड्राइवर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई है। बस का परमिट और फिटनेस भी निरस्त किया जा रहा है। एक माह पहले जिला प्रशासन, परिवहन विभाग, पुलिस और एनएचएआई के अधिकारियों ने इस मार्ग का दौरा करते हुए 17 स्थानों को खतरनाक चिन्हित किया था, यह स्थान भी उसमें शामिल था। अधिकारियों ने संबंधित विभागों को पत्र लिखा कि रैलिंग लगाएं लेकिन विभाग और जिम्मेदार अधिकारी दोनों ही इसे भूल गए। सडक़ बनाने वाले अधिकारी दबी जुबान में कहते हैं कि हम तो नई सडक़ बना रहे हैं हम सबकुछ नया करेंगे, अभी जो सुधार करना है वो प्रशासन करे। इसी तरह काम करने के बजाए जिम्मेदारी इधर से उधर ढोली जा रही है।
67 बसों के समय को सवा घंटा बढ़ाया, खराब सडक़ें जानलेवा
इंदौर से खंडवा की दूरी 130 किलोमीटर है। बस की औसत रफ्तार 40 किलोमीटर भी माने तो इस दूरी के लिए सवा तीन घंटे काफी हैं। बीच के स्टॉप को जोड़ लें तो साढ़े तीन घंटे का सफर है। इसे देखते हुए ही परिवहन विभाग ने इस मार्ग की सभी बसों को साढ़े तीन घंटे का परमिट दिया था। लेकिन पिछले दिनों हुए हादसों को देखते हुए इस मार्ग पर चलने वाली 67 बसें जो अस्थाई परमिट के साथ चलती थी उनका समय बढ़ाकर पौने पांच घंटे कर दिया है। ताकी रफ्तार और कम है। हालांकि अभी भी पक्के परमिट पर चलने वाली 130 बसों का समय साढ़े तीन से चार घंटे का ही है। यहां हादसों का बड़ा कारण तेज गति से ज्यादा खराब सडक़ें हैं, जिनकी मरम्मत तक पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
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