इंदौर (Indore)। एमआर-4 का निर्माण जहां आधा-अधूरा हुआ, वहीं रेलवे ने भी अपनी जमीन वापस मांगी और उस पर काम भी शुरू कर दिया। नतीजतन नगर निगम (As a result the Municipal Corporation) को इसे वन-वे करना पड़ा। अब लक्ष्मीबाई स्टेशन के सामने वाहनों का एकतरफा यातायात रहेगा। बाणगंगा रेलवे क्रॉसिंग (Banganga Railway Crossing) से आ रहे वाहन नमकीन क्लस्टर होते हुए एमआर-4 पर आ सकेंगे, तथा भंडारी ब्रिज से बाणगंगा रेलवे क्रॉसिंग की ओर जाने वाले वाहन यथावत लक्ष्मीबाई स्टेशन के सामने से गुजर सकेंगे। लक्ष्मीबाई नगर स्टेशन के सामने रेल भूमि पर अस्थायी डायवर्शन को बंद करते हुए इंदौर-उज्जैन लाइन दोहरीकरण और लक्ष्मीबाई नगर रेलवे स्टेशन के विकास के मद्देनजर रेलवे ने काम शुरू किए हैं, जिसके चलते निगम की योजना शाखा के अधीक्षण यंत्री ने रोड को वन-वे करने संबंधी आदेश जारी किए।
दरअसल लक्ष्मीबाई रेलवे स्टेशन के पास एमआर-4 निर्माण के लिए पहले रेलवे ने जमीन दी थी, जिसे अब वापस मांग लिया है। सिंहस्थ से पहले यह जमीन रेलवे ने इसलिए दी थी क्योंकि स्टेशन के सामने मौजूद भागीरथपुरा बस्ती नहीं हट पा रही थी और सडक़ का निर्माण करना उस वक्त जरूरी हो गया था। मगर अब उज्जैन, देवास, उज्जैन रेल लाइन के दोहरीकरण के चलते रेलवे को जमीन की आवश्यकता है, जिसके चलते वापस जमीन देने का निर्णय लेना पड़ा। यह दोहरीकृत रेल लाइन स्टेशन की पार्किंग से होते हुए रेलवे माल गोदाम क्रासिंग के पहले तक बिछाई जा रही है।
चूंकि लाइन के लिए अलग से कोई जगह रेलवे के पास नहीं है। लिहाजा यह जमीन मांगी गई, क्योंकि नया प्लेटफार्म भी निर्मित करना पड़ेगा। रेलवे ने पार्किंग एरिया और सडक़ पर पिछले दिनों लाइन डालकर काम भी शुरू कर दिया। दूसरी तरफ एमआर-4, जो कि संकरा ही निर्मित हुआ और मौजूदा बस्ती भी नहीं हट सकी। ऐसे में यातायात अवरूद्ध होने के चलते चूंकि सडक़ आधी ही बची। इसलिए उस पर टू लेन की बजाय वन लेन यानी एकतरफा यातायात को अनुमति देना पड़ रही है। अब लक्ष्मीबाई नगर स्टेशन से पोलोग्राउंड की तरफ आने वाले वाहन भागीरथपुरा के दूसरी तरफ बनी सडक़ से होकर ही जाएंगे। इधर प्रशासन और निगम की मजबूरी यह है कि रेलवे को जमीन वापस ही करना होगी, क्योंकि वह भी स्टेशन का विकास कर रहा है।
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