नई दिल्ली (New Delhi)। जलवायु परिवर्तन (Climate change) की वजह से इस बार फरवरी (February) में अधिकतम औसत तापमान (maximum mean temperature) साल 1877 के बाद सबसे अधिक 29.50 रहा। यह सामान्य से 1.73 डिग्री अधिक (1.73 degrees above normal) है। मौसम विभाग ने यह जानकारी देते हुए आशंका जताई कि मार्च से तेज गर्मी और लू का दौर (heat stroke and heat stroke) शुरू हो सकता है। नागरिकों को अगले तीन-चार महीने भीषण गर्मी सहनी पड़ सकती है।
साल 1901 से दर्ज तापमान के आंकड़ों के लिहाज से विभाग ने कहा कि फरवरी का न्यूनतम औसत तापमान भी 0.81 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। यह पिछले 122 वर्षों में पांचवां सर्वाधिक है। अगले कुछ महीनों के लिए संभावना जताई कि मार्च से मई तक उत्तर-पूर्वी, पूर्वी और मध्य भारत में अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक रहेगा। इन हालात की वजह विभाग ने ग्लोबल वार्मिंग को बताया। कहा, हम गर्म होती दुनिया में जी रहे हैं। उल्लेखनीय है कि इससे पहले मार्च 2022 को भी मौसम विभाग ने 122 वर्षों में दर्ज आंकड़ों के लिहाज से सबसे गर्म बताया था।
मार्च में रात का तापमान बढ़ेगा:
देश के अधिकतर हिस्सों में मार्च में रात का तापमान बढ़ेगा और औसत न्यूनतम तापमान में भी वृद्धि हो सकती है। यानी रात में भी ज्यादा गर्मी लगेगी। केवल दक्षिणी प्रायद्वीप में न्यूनतम तापमान सामान्य से कम रह सकता है।
सामान्य से अधिक रहेगा तापमान:
इस बार देश के अधिकतर हिस्सों में मार्च से ही अधिकतम और न्यूनतम, दोनों तापमान सामान्य से अधिक रह सकते हैं। आशंका है कि उत्तर पश्चिम और मध्य भारत में मार्च से ही लू चल सकती है। विभाग की हाइड्रोमेट और एग्रोमेट सलाहकार सेवा के प्रमुख एससी भान ने बताया कि अप्रैल और मई में लोगों को गर्मी के मौसम के चरम हालात सहने पड़ सकते हैं।
बारिश कम होगी:
फरवरी में वर्षा भी सामान्य से 68 प्रतिशत कम दर्ज हुई। मार्च में औसत से 83 से 117 प्रतिशत तक बारिश भी हो सकती है, इस महीने देश में औसतन 29.9 एमएम बारिश होती है। दक्षिणी प्रायद्वीप, पूर्व-मध्य और उत्तर-पूर्वी भारत में सामान्य या सामान्य से अधिक बारिश हो सकती है। उत्तर-पश्चिम, पश्चिम-मध्य, उत्तर-पूर्व और पूर्वी भारत के क्षेत्रों में बारिश सामान्य से कम होगी।
ये होगा असर
फसलों पर : फरवरी और मार्च में बढ़े तापमान का असर उत्तर और मध्य भारत में गेहूं उत्पादन पर हो सकता है। चने और राई का उत्पादन भी घट सकता है। यह कई फसलों के पकने का समय है, जिन पर सामान्य से अधिक तापमान असर डाल सकता है।
बिजली खपत पर: बिजली खपत तेजी से बढ़ सकती है। जनवरी में ही 210 गीगावाट पहुंच चुकी पीक डिमांड, साल 2022 में बने रिकॉर्ड 211 गीगावाट के बेहद करीब रही। दिसंबर में केंद्रीय ऊर्जा सचिव ने अनुमान दिया था कि अप्रैल 2023 में आंकड़ा 230 गीगावाट तक जा सकता है।
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