नई दिल्ली: देश भर में सभी नौकरी वाली महिलाओं (Women) और छात्राओं (Students) को ‘पीरियड्स’ (Periods) के दौरान छुट्टी (Leave) दिए जाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा, याचिकाकर्ता सरकार के पास अपनी मांग के साथ ज्ञापन दें. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह पॉलिसी मैटर है.
SC ने याचिकाकर्ता से कहा, ये नीतिगत मसला है. आप महिला और बाल विकास मंत्रालय को ज्ञापन दे. याचिका में कहा गया था कि केवल बिहार सरकार ने पीरिड्स के दिनों के लिए दो दिन की छुट्टी का प्रावधान किया है. बाकी राज्यो को भी इस तरह के नियम बनाने का कोर्ट निर्देश दे.
इन देशों में मिलती है लीव
याचिका में कहा गया था कि यूनाइटेड किंगडम, चीन, वेल्स, जापान, ताइवान, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया, स्पेन और जाम्बिया जैसे देश पहले से ही किसी न किसी रूप में पीरियड्स के दौरान होने वाली तकलीफों को समझते हुए अवकाश दे रहे हैं. मातृत्व के विभिन्न चरणों के दौरान, वह कई शारीरिक और मानसिक कठिनाइयों से गुजरती हैं, चाहे वह मासिक धर्म, गर्भावस्था, गर्भपात या अन्य चिकित्सीय जटिलताएं हों.
संविधान में क्या कहा गया है
याचिका में कहा गया था कि 1961 का अधिनियम महिलाओं के सामने आने वाली लगभग सभी समस्याओं के लिए प्रावधान देता है, जिसे इसके कई प्रावधानों से समझा जा सकता है, जिसने नियोक्ताओं के लिए गर्भावस्था के दौरान कुछ दिनों के लिए महिला कर्मचारियों को वेतन के साथ अवकाश देना अनिवार्य कर दिया है. इसी तरह गर्भपात, ट्यूबेक्टॉमी ऑपरेशन के लिए या किसी भी मेडिकल कॉम्पलिकेशन में छुट्टी के लिए कहा गया है.
बिहार राज्य और ये कंपनियां देती हैं लीव
याचिका में कहा गया था कि बिहार एकमात्र ऐसा राज्य है जो 1992 से महिलाओं को दो दिन का मासिक धर्म में अवकाश दे रहा है. इसमें कहा गया है कि कुछ भारतीय कंपनियां भी हैं जो सशुल्क इस अवधि की छुट्टी देती हैं जिनमें जोमैटो, बायजू और स्विगी शामिल हैं.
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